Hindi, asked by roshninegi2206, 9 months ago

Chaitanya ji ke dohe
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Answered by rajraj87
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ब्रज कौ बिकास कियौ, वृन्दावन वास कियौ

रास महारास कियौ, पियौ रस हु अनन्य

धाम धाम गौर स्याम छायौ है अनूप रूप

ताहि देख कोटि काम हु कौ लाजौ लवन्य

'प्रीतम' मधूकरी औ तुलसी कौं मान दियौ

राधा कृष्ण गान ही तें जग कौं कियौ सु धन्य

हरी हरी बोल घोल अमरित पिवायौ श्री

महाप्रभु नित्यानन्द जू हरे कृष्ण चैतन्य

तीरथ अनेक जिन कीरत श्रुतिन गाई

कीरत लाली बिना भली नांहि ठौर अन्य

देखी कर गौर और लेखिन परेखी तबै

पाई मधुपरी धुरी तीन लोक तें जु धन्य

पात पात बंसीवट कुंड कुंड कृष्णा तट

कुंज कुंज नटखट लीलान लखी अनन्य

'प्रीतम' प्रगत घट सुधा सों भरौ है ब्रज

रट रट हरी नाम नित्यानन्द चैतन्य

प्यारी के भावन सुख मिलत हिये में कहा

रूप रंग रीझ खीझ रति रस का ललाम

मान कर मनाइवौ दान मिस रिझाइवौ

आन दै बुलाइवौ सु केलि हित कुंज धाम

वा ही हेतु औतरे जु स्याम बाम बेस धार

अमित आवेस प्यार बगरायौ ठाम ठाम

'प्रीतम' सु नाम धन्य स्याम राधा राधा रटें

राधा राधा रटि पुनि हेरत है स्याम स्याम

नवद्वीप तें आइ अतीब समीप सुनीपन क्यार परोस कियौ है

कल कुंजन पुंजन में अलि गुंजन कौ रस हु निस द्यौस पियौ है

रट नाम हरी हरे कृस्न चैतन्य जु 'प्रीतम' धामहि पोस लियौ है

ब्रज बैभव गौरव सौष्ठव कौ पुनि विस्वहि में उद्घोष कियौ है

नव्स्वीप तें आइ कियौ ब्रजवास बिकास कियौ पुनि यौं ब्रज ही कौ

तरु बेलि औ कुंड निकंजरू कुंज किये सब तीर्थ प्रमाण दै जी कौ

रस सिक्त तें भक्त किये जड़ चेतन चैतन्य नाम पिवाय अमी कौ

कवि 'प्रीतम' प्राण हरी हरी बोल हरी जन पीर कियौ जग नीकौ

Answered by daksharyaschool
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