Hindi, asked by rao1261, 10 months ago

chalchitra ka Yuva varg par Prabhav nibandh in Hindi​

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Answered by shailajavyas
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Answer:  

Explanation: मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन है चलचित्र |  अमीर - गरीब सभी स्तर के लोग चलचित्र द्वारा अपना मनोरंजन करते हैं | आधुनिक विज्ञान का सबसे रुचिकर आविष्कार चलचित्र है | चलचित्र हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है | बड़े-बड़े शहरों से लेकर कस्बों में तथा गांवों में भी सिनेमाघर खुले हुए हैं | मनोरंजन की दृष्टि से उसके निर्माण को देखकर संगीत को सुनकर सभी अपनी थकान को मिटाने का जरिया उसे ही मानते हैं और उसे देखकर अपनी चिंता से मुक्त होकर ताजगी अनुभव करते हैं |  

                                उत्तम कोटि के चलचित्र समाज सुधार का अनोखा काम करते हैं जैसे डाकू समस्या, बेकारी, विधवाप्रथा,  भ्रष्टाचार, श्रम की महिमा, देश प्रेम, भाईचारा तथा नैतिकता के आधार पर बने हुए चलचित्र लोगों विशेषकर युवावर्ग को सुधार की प्रेरणा देते हैं |  

                                       कई चलचित्र ऐसे भी हैं जो केवल फायदे के लिए बनाए जाते हैं | जिसका नैतिक मूल्य शून्य होता है | आज के युग में कई निर्देशक ऐसी फिल्में बनाना चाहते हैं जिनके द्वारा वे अधिक से अधिक पैसा कम से कम समय में कमा सके और यही कारण है कि चित्रपटों का स्तर धीरे-धीरे गिरता जा रहा है और इसका दूषित प्रभाव हमारी युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है | भारतीय संस्कृति तथा इतिहास का गौरव दूषित होता जा रहा है | आज के चलचित्रों में हमें पाश्चात्य जगत का प्रभाव पूर्ण रूप से देखने को मिलता है यही कारण है कि वहां की संस्कृति तथा अश्लील एवं हिंसात्मक दृश्य हमारी युवा पीढ़ी को धड़ल्ले से परोसे जा रहे हैं ताकि वे उसे देख कर आधुनिकता का नाम दे सके | किंतु इसके प्रभाव दूरगामी होते हैं |  

                  आज हमारी युवा पीढ़ी चलचित्रों में नकारात्मक कथावस्तु, भद्दे गीतो और अश्लील दृश्य देखने  के कारण गलत दिशा में जा रही है | ऐसी फिल्में हत्या, शोषण, चोरी, डकैती, तस्करी और चारित्रिक हनन जैसी बुराइयों को जन्म देती है |  

              यदि हमारे निर्माता अच्छे स्वदेशी समस्याओं को उजागर करनेवाले चलचित्र बनाएं तो वे  निसंदेह समाज में उत्थान का एक सरल साधन बन सकते है | जो काम बड़े-बड़े उपदेशक नहीं कर सकते वह काम चलचित्र सरलता से कर सकता है क्योंकि यह समूचे समाज में प्रदर्शित होने वाला वह जरिया है जो जन -जन तक पहुंचता है | नेता समाज को प्रगतिशील बनाने में भले ही पीछे रहे परंतु अभिनेता इस कार्य में पूरी तरह सफल हो सकते हैं | यदि उनके द्वारा ऐसी फिल्मों का चयन किया जाए जो सामाजिक दृष्टि से मानवीय पक्षों का उत्थान कर सके, विकास कर सके, तथा उसके नैतिक मूल्यों का वर्धन कर सकें तो युवा वर्ग इससे प्रेरणा पाकर एक आदर्श समाज का निर्माण करेगा |      

          अंग्रेजी कहावत है कि बुरी चीजें बेहोशी की तरह फैलती है वही अच्छी चीजों को फैलने में समय लगता है | आज प्रत्येक निर्देशक, निर्माता तथा अभिनेता सभी फिल्मकारों को समाज में ऐसी फिल्मों को बनाना चाहिए जिससे प्राणी मात्र का कल्याण व उत्थान हो सके । विशेषकर युवावर्ग का क्योंकी विशेषतया वे ही हमारी संस्कृति तथा गौरव के पोषक संरक्षक और वाहक हैं |  

Answered by bhatiamona
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Answer:

                                           चलचित्र का युवा वर्ग पर प्रभाव  

देखा जाए तो हर चीज़ के दो पहलू होते है वैसे ही चलचित्र सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव है यह हम पर निर्भर करता हम कैसे अपनाते है|

कई फिल्में अच्छी होती है हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है , बहुत सर जानकारी मिलती है जैसे हमारा इतिहास, युवावर्ग में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और मानव-मूल्यों का प्रसार करती हैं । ऐसी फिल्में जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा देती है ।

आज ले समय में चलचित्र का युवा वर्ग पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है | आज के युवा गलत बाते सिख रहे है जो फिल्मों में देख रहे वह ही अपने जीवन में कर रहे है | जिसके कारण मात-पिता को भी भुगतना पड़ रहा है | प्रेम की अपेक्षा आज की फिल्मों में हिंसा वासना बलात्कार और रुचि पूर्ण दृश्यों की अधिकता रहती है। जिसका सीधा प्रभाव युवाओं के मानसिक पटल पर पड़ता है। चोरी डकैती लूटपाट के नित नए-नए तरीके फिल्मों में दिखाए जाते हैं , जो की बहुत गलत है | फैशन के नाम पर बहुत कुछ दिखाते है ,  शराब और सिगरेट का प्रयोग जिसका सीधा प्रभाव युवा वर्ग पर पड़ता है और वह अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल कर पश्चिमी सभ्यता को अपना रहा है।

सब हम पर ही निर्भर करता है हमें कैसे प्रयोग करना है |  

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