Chalte-chalte jo kabhi gir jao.samjhayiye from the poem prerna by tripurari
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प्रस्तुत त्रिवेणी में कवि ने हिम्मत न हारने की सीख दी है | कवि कहते हैं कि कर्तव्य पथ पर चलते समय यदि हम गिर भी जाए या असफल हो जाए तो भी हमें हार नहीं माननी चाहिए | ऐसी स्थिति में हमें खुद को संभाल कर आगे बढ़ते रहना चाहिए | जीवन में इसी तरह से चोटों अर्थात असफलताओं से ही हमें सीख मिलती हैं जिसे प्राप्त कर हम सफल होते है।
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चलते-चलते जो कभी गिर जाए
यह हिम्मत बढ़ाने वाली पंक्ति है , हे मनुष्य चलते-चलते जो कभी तुम गिर जाओ तो , तुम्हें डरना नहीं है हिम्मत नहीं हारनी है, साहस नहीं छोड़ना तुमने फिर उठना है , आगे बढ़ना है | जीवन में लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रास्ते में बहुत सारी परेशानियाँ आती है उससे हमें डरना नहीं है | एक बार हार जाने से हिम्मत नहीं छोड़ देनी है या हार नहीं मान लेनी चाहिए , हमें आगे बढ़ना सभी मुश्किलों को पीछे छोड़ कर आगे की तरफ़ ही बढ़ना है | हम अपनी गलतियों और मुश्किलों से सिख कर आगे बढ़ते है |