Hindi, asked by arsh7229, 11 months ago

Chand ki Poshak Charo Disha Mein faili Hui Hai Tum kaise sahi mante ho vistar se batao hindi me​

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Answered by shishir303
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ये प्रश्न ‘शमशेर बहादुर सिंह’ द्वारा रचित कविता “चाँद से थोड़ी गप्पें” से लिया गया है।

‘चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है’ का आशय ये है कि आकाश ही चाँद का वस्त्र है, अर्थात चाँद ने आकाश रूपी पोशाक को अपने ऊपर ओढ रखा है। चूंकि आकाश का विस्तार चारों दिशाओं में होता है इसलिये चाँद की आकाश रूपी पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। इस दृष्टि से हम इसे सही मानते हैं।

आकाश में जो तारे चमक रहे हैं वो इस चाँद की इस आकाश रूपी पोशाक में जड़े हुये सितारे की तरह हैं। चाँद का पूरा शरीर ही आकाश रूपी पोशाक से ढका है। केवल चाँद का सुंदर-सलोना, गोरा सा मुखड़ा ही इस पोशाक से बाहर दिखायी दे रहा है।

इस कविता में कवि ने एक ग्यारह साल की लड़की के माध्यम से चाँद के विषय सुंदर और मनोहारी कल्पना को विस्तार दिया है। उस छोटी लड़की मन में चाँद को देखकर अत्यन्त सुंदर मनोभाव उमड़ते हैं और वो चाँद से संवाद करती हुई अपने उन मनोभावों को चाँद के सामने व्यक्त करती है।

Answered by patildurgeshkailas19
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batao please yarr answer please

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