Hindi, asked by khanminaz866, 6 days ago

chandni raat poem 9th std​

Attachments:

Answers

Answered by ItzKajalKaLover
9

Answer:

भावार्थ — कवि कहता है कि सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी पैâली हुई है, जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर बिछी हुई हो।

Answered by pujagiyabgp
2

Explanation:

प्रश्न 1.

चाँदनी रात की विशेषताएँ:

उत्तर:

• सुंदर चंद्रमा की झिलमिलाती किरणें जल और थल में फैली हुई हैं।

• पृथ्वी और आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है।

• हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से पृथ्वी अपनी खुशी प्रकट कर रही है।

• सभी वृक्ष मंद-मंद वायु के झोंकों से झूमते प्रतीत होते हैं।

• दूर-दूर तक फैली चाँदनी बहुत ही साफ दिखाई दे रही है।

• रात सन्नाटे से भरी है, कोई शोर नहीं हो रहा है।

• वायु स्वच्छंद होकर मंद-मंद गति से बह रही है।

• इस समय पूर्व, पश्चिम आदि सभी दिशाओं में आनंद ही आनंद व्याप्त है।

2. निम्नलिखित पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए :

प्रश्न च.

चारु चंद्र ……….. झोंकों से ।

उत्तर:

भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। पृथ्वी हरी-हरी घास की नोकों के माध्यम से अपनी खुशी प्रकट कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो वृक्ष भी मंद-मंद वायु के झोंकों से झूम रहे हैं।

प्रश्न छ.

क्या ही स्वच्छ ………. शांत और चुपचाप ।

उत्तर:

भावार्थ: पंचवटी में दूर-दूर तक चाँदनी फैली हुई है, वह बहुत ही साफ दिखाई दे रही है। रात सन्नाटे से भरी है। कोई शब्द नहीं हो रहा है। वायु स्वच्छंद होकर अपनी स्वतंत्र चाल से मंद-मंद बह रही है। इस समय कौन-सी दिशा है जो आनंद नहीं ले रही है? अर्थात सभी दिशाएँ इस सौंदर्य से आनंदित हो रही हैं। उत्तरपश्चिम आदि सभी दिशाओं में आनंद ही आनंद व्याप्त है। कोई भी दिशा आनंद-शून्य नहीं है। ऐसे समय में भी नियति नामक शक्ति-विशेष के समस्त कार्य संपन्न हो रहे हैं। कोई रुकावट नहीं। वह एक भाव से अर्थात् अकेले-अकेले और चुपचाप अपने कर्तव्यों का निर्वाह किए जा रही है।

Similar questions