Hindi, asked by patninitin965, 5 months ago

chandragupt Maurya ka biography hindi me leka in 200 words​

Answers

Answered by siprat53
1

Answer:

Chandragupt Maurya

Explanation:

चंद्रगुप्त मौर्य मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। 340 ईसा पूर्व के आसपास जन्मे चंद्रगुप्त मौर्यों में सबसे छोटे थे, जिन्होंने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में शासन किया था। एक बच्चे के रूप में भी, वह एक असाधारण शिकारी और सवार था। इस समय के दौरान, अधिकांश उत्तरी भारत मगध साम्राज्य का हिस्सा था, जो नंदों द्वारा शासित था। दक्षिणी भारत कई स्वतंत्र क्षेत्रों में विभाजित था।

भारतीय उपमहाद्वीप को एक एकीकृत राज्य के तहत लाने वाले चंद्रगुप्त मौर्य का शासनकाल था, जो 322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व तक चला था। मौर्य राजवंश के पास उल्लेखनीय सम्राट होंगे, जिनमें चंद्रगुप्त के बेटे बिंदुसार और पोते, सम्राट अशोक शामिल थे।

चंद्रगुप्त के मुख्य सलाहकार, चाणक्य एक मास्टर रणनीतिकार थे। चंद्रगुप्त की वीरता और चाणक्य की बुद्धिमत्ता के साथ, उन्होंने एक छोटी लेकिन दुर्जेय सेना बना ली। नंद सेना को पराजित करने और उनके क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल करने के बाद, चंद्रगुप्त मौर्य को कोई रोक नहीं पाया। वह सिकंदर की सेना, और बाद में मैसेडोनियन लोगों में ग्रीक जनरलों को हराने के लिए चला गया। उनकी विजय ने उन्हें उस समय भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित करने के लिए प्रेरित किया।

मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने और समुद्र के पार के राज्यों के साथ व्यापार को बेहतर बनाने के लिए, उन्होंने सेल्यूकस की बेटी से शादी की। यह एक लाभकारी गठबंधन साबित हुआ क्योंकि सेल्यूकस ने उसके लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र का समर्पण कर दिया। यद्यपि चंद्रगुप्त मौर्य के पारिवारिक वृक्ष के बारे में बहुत कुछ नहीं पता है, लेकिन दुर्धरा नाम की एक महिला को उनकी पत्नी और उनके उत्तराधिकारी की मां बिन्दुसार के रूप में माना जाता है।

चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन और समय को घेरने वाली कई किंवदंतियाँ हैं। एक प्रचलित किंवदंती में कहा गया है कि चाणक्य हमेशा चंद्रगुप्त को जहर दिए जाने के डर में थे। तो, इन जहर के खिलाफ उसे टीका लगाने के लिए, चाणक्य अपने भोजन में जहर की छोटी खुराक जोड़ेंगे। चंद्रगुप्त मौर्य ने 298 ई.पू. में अपने बेटे को सिंहासन दिया। कुछ लोगों का मानना है कि वह जैन धर्म में परिवर्तित हो गया और अपनी मृत्यु तक जीवन को एक तपस्वी के रूप में जीया।

Answered by devashree1028
0

चन्द्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय, इतिहास (

मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त भारत के बहुत अच्छे शासक माने जाते है, जिन्होंने बहुत सालों तक शासन किया. चन्द्रगुप्त मौर्य एक ऐसे शासक थे जो पुरे भारत को एकिकृत करने में सफल रहे थे, उन्होंने अपने अकेले के दम पर पुरे भारत पर शासन किया. उनसे पहले पुरे देश में छोटे छोटे शासक हुआ करते थे, जो यहाँ वहां अलग शासन चलाते थे, देश में एकजुटता नहीं थी. चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शासन कश्मीर से लेकर दक्षिण के डेक्कन तक, पूर्व के असम से पश्चिम के अफगानिस्तान तक फैलाया था. भारत देश के अलावा चन्द्रगुप्त मौर्य आस पास के देशों में भी शासन किया करते थे. चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन के बारे में कोई ज्यादा नहीं जानता है. कहा जाता है वे मगध के वंशज थे. चन्द्रगुप्त मौर्य जवानी से ही तेज बुद्धिमानी थे, उनमें सफल सच्चे शासक की पूरी गुणवत्ता थी, जो चाणक्य ने पहचानी और उन्हें राजनीती व सामाजिक शिक्षा दी.

chandragupt mourya

चन्द्रगुप्त मौर्य का परिचय (Introduction)

जीवन परिचय बिंदु चन्द्रगुप्त जीवन परिचय

पूरा नाम चन्द्रगुप्त मौर्य

जन्म 340 BC

जन्म स्थान पाटलीपुत्र , बिहार

माता-पिता नंदा, मुरा

पत्नी दुर्धरा

बेटे बिंदुसार

मोहनजोदड़ों पाकिस्तान में स्थित मुर्दों का घर है, इसका निर्माण 2600 बीसी में हुआ था .

चन्द्रगुप्त मौर्य शुरूआती जीवन (Early Life) –

चन्द्रगुप्त मौर्य के परिवार की कही भी बहुत सही जानकारी नहीं मिलती है, कहा जाता है वे राजा नंदा व उनकी पत्नी मुरा के बेटे थे. कुछ लोग कहते है वे मौर्य शासक के परिवार के थे, जो क्षत्रीय थे. कहते है चन्द्रगुप्त मौर्य के दादा की दो पत्नियाँ थी, एक से उन्हें 9 बेटे थे, जिन्हें नवनादास कहते थे, दूसरी पत्नी से उन्हें चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता बस थे, जिन्हें नंदा कहते थे. नवनादास अपने सौतले भाई से जलते थे, जिसके चलते वे नंदा को मारने की कोशिश करते थे. नंदा के चन्द्रगुप्त मौर्य मिला कर 100 पुत्र थे, जिन्हें नवनादास मार डालते है बस चन्द्रगुप्त मौर्य किसी तरह बच जाते है और मगध के साम्राज्य में रहने लगते है. यही पर उनकी मुलाकात चाणक्य से हुई. इसके बाद से उनका जीवन बदल गया. चाणक्य ने उनके गुणों को पहचाना और तकशिला विद्यालय ले गए, जहाँ वे पढ़ाया करते थे. चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को अपने अनुसार सारी शिक्षा दी, उन्हें ज्ञानी, बुद्धिमानी, समझदार महापुरुष बनाया, उन्हें एक शासक के सारे गुण सिखाये.

चन्द्रगुप्त मौर्य की पहली पत्नी दुर्धरा थी, जिनसे उन्हें बिंदुसार नाम का बेटा हुआ, इसके अलावा दूसरी पत्नी देवी हेलना थी, जिनसे उन्हें जस्टिन नाम के पुत्र हुआ. कहते है चन्द्रगुप्त मौर्य की दुश्मन से रक्षा करने के लिए आचार्य चाणक्य उन्हें रोज खाने में थोडा थोडा जहर मिलाकर देते थे, जिससे उनके शरीर मे प्रतिरोधक छमता आ जाये और उनके शत्रु उन्हें किसी तरह का जहर न दे पाए. यह खाना चन्द्रगुप्त अपनी पत्नी के साथ दुर्धरा बाटते थे , लेकिन एक दिन उनके शत्रु ने वही जहर ज्यादा मात्रा मे उनके खाने मे मिला दिया, उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थी, दुर्धरा इसे सहन नहीं कर पाती है और मर जाती है, लेकिन चाणक्य समय पर पहुँच कर उनके बेटे को बचा लेते है. बिंदुसार को आज भी उनके बेटे अशोका के लिए याद किया जाता है, जो एक महान राजा था.

मोर्य साम्राज्य की स्थापना (Mourya Empire) –

मौर्य साम्राज्य खड़े होने का पूरा श्रेय चाणक्य को जाता है. चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य से वादा किया था, कि वे उसे उसका हक दिला कर रहेंगें, उसे नवदास की राजगद्दी पर बैठाएंगे. चाणक्य जब तकशिला में टीचर थे, तब अलेक्सेंडर भारत में हमला करने की तैयारी में था. तब तकशिला के राजा, व गन्धारा दोनों ने अलेक्सेंडर के सामने घुटने टेक दिए, चाणक्य ने देश के अलग अलग राजाओं से मदद मांगी. पंजाब के राजा पर्वेतेश्वर ने अलेक्सेंडर को युद्ध के लिए ललकारा. परन्तु पंजाब के राजा को हार का सामना करना पढ़ा, जिसके बाद चाणक्य ने धनानंद, नंदा साम्राज्य के शासक से मदद मांगी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इस घटना के बाद चाणक्य ने तय किया कि वे एक अपना नया साम्राज्य खड़ा करेंगे जो अंग्रेज हमलावरों से देश की रक्षा करे, और साम्राज्य उनके अनुसार नीति से चले. जिसके लिए उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को चुना. चाणक्य मौर्य साम्राज्य के प्रधानमंत्री कहे जाते थे.

अग्रवालों के आराध्य महाराजा अग्रसेन की जयंती एवं नवरात्रि का प्रथम दिन यानि बैठकी एक ही दिन होती हैं.

चन्द्रगुप्त मौर्य के जाने के बाद उनके बेटे ने साम्राज्य आगे बढाया, जिनका साथ चाणक्य ने दिया. चन्द्रगुप्त मौर्य व चाणक्य ने मिल कर अपनी सूझबूझ से इतना बड़ा एम्पायर खड़ा किया था. वे कई बार हारे भी, लेकिन वे अपनी हार से भी कुछ सीखकर आगे बढ़ते थे. चाणक्य कूटनीति के चलते ही चन्द्रगुप्त मौर्य ने इतना बड़ा एम्पायर खड़ा किया था, जिसे आगे जाकर उनके पोते अशोका ने एक नए मुकाम पर पहुँचाया था. चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे महान शासक योद्धा से आज के नौजवान बहुत सी बातें सीखते है, इनपर बहुत सी पुस्तकें भी लिखी गई है, साथ ही चन्द्रगुप्त मौर्य टीवी सीरीज भी आई थी, जो बहुत पसंद की गई थी.

Similar questions