Chapter name - Sneh by Vishnu Prabhakar iss chapter ka saransh aur uddesya in 150 words
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स्नेह पाठ विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखा गया है | पाठ का सारांश और उद्देश्य
विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित स्नेह कहानी एक ऐसे अनाथ बालक शशि की कहानी है। जिसके माँ बाप उसके जन्म लेते ही मर गए थे। उसका पालन पोषण उसकी ताई और चाचा आदि मिलकर कर रहे थे। उसकी ताई का स्वभाव बेहद कठोर था, वह एक विधवा स्त्री थी, लेकिन शशि के प्रति अच्छे विचार नहीं रहती थी। वह शशि को प्रताड़ित करती रहती थी क्योंकि वह शशि को अपशकुन मानती थी, जिसके कारण शशि के माँ-बाप मर गए कि उसके पति का भी देहांत हो गया, ऐसा उसका मानना था।
शशि के चाचा का भी विवाह हुआ और उसकी पत्नी का नाम उमा था। उमा का स्वभाव बहुत सरल था और वह शशि के प्रति स्नेह रखने लगी। उसने शशि पर अपनी जेठानी निरुपमा द्वारा किए गए अत्याचार देखे थे, उसने विरोध किया तो उमा धीरे-धीरे घर में खटपट बढ़ने के कारणों में अलग हो गई, लेकिन शशि के प्रति उसका स्नेह कम नहीं हुआ। उमा के भी एक पुत्र हो चुका था।
शशि उसके घर मिलने आता था, निरुपमा को पता चला कि शशि उमा से मिलने जाता है तो उसने शशि का स्कूल जाना बंद कर दिया। शशि बीमार पड़ गया उमा को पता चला तो वह अपने को रोक ना सकी और निरुपमा के घर गई और उसे काफी भला बुरा कहा और अपनी छोटे बालक को निरुपमा के चरणों में रखकर चाची को अपनी गोद में उठाकर ले आई। और कहा कि मेरे इस पत्र को अपने पास रख लो लेकिन शशि को मुझे दे दो। निरुपमा कोई उत्तर ना दे सकी। यह एक स्त्री का एक अनाथ बालक के प्रति स्नेह था। जिसके कारण उसने अपने स्वयं के पुत्र का भी त्यागने में संकोच नहीं किया।
इस कहानी का उद्देश्य यह है कि स्नेह किसी के प्रति भी हो सकता है और जहाँ पर स्नेह होता है, वहाँ पर फिर कोई भी बंदिश काम नहीं करती। शशि और उमा का आपस में ही स्नेह इसी बात का सूचक था।