Hindi, asked by pushkarkumar12367, 10 months ago

chapter subhasitani meaning ​

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Answered by DevasyaMisra
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Sorry I don't know the answer.

Answered by Satyatejareddy
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Answer:

अग्निशेषमृणशेषं शत्रुशेषं तथैव च । पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्माच्शेषं न कारयेत् ॥

भावार्थ :

यदि कोई आग, ऋण, या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचा रहेगा तो बार बार बढ़ेगा ; अत: इन्हें थोड़ा सा भी बचा नही रहने देना चाहिए । इन तीनों को सम्पूर्ण रूप से समाप्त ही कर डालना चाहिए ।

नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः । विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ॥

भावार्थ :

वन्य जीव शेर का राज्याभिषेक (पवित्र जल छिड़काव) तथा कतिपय कर्मकांड के संचालन के माध्यम से ताजपोशी नहीं करते किन्तु वह अपने कौशल से ही कार्यभार और राजत्व को सहजता व सरलता से धारण कर लेता है

उद्यमेनैव हि सिध्यन्ति,कार्याणि न मनोरथै। न हि सुप्तस्य सिंहस्य,प्रविशन्ति मृगाः॥

भावार्थ :

प्रयत्न करने से ही कार्य पूर्ण होते हैं, केवल इच्छा करने से नहीं, सोते हुए शेर के मुख में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते हैं।

विद्वत्वं च नृपत्वं च न एव तुल्ये कदाचन्। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥

भावार्थ :

विद्वता और राज्य अतुलनीय हैं, राजा को तो अपने राज्य में ही सम्मान मिलता है पर विद्वान का सर्वत्र सम्मान होता है|

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