Character sketch of maa in sanskar aur bhavna
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संस्कार और भावना में माँ मानवीय भावनाओं के बीच के द्वंद्व को बहुत मार्मिक ढंग से प्रदर्शित करती है। वह पारंपरिक रुढ़िवादी संस्कारों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझती है। इसके कारण वह अपने बेटे से भी रिश्ता तोड़ देती है पर उसे इस बात का हमेशा दुःख रहता है।
दुःख के समय जब कोई सहायता करता है तब ये रुढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कार दुर्बल हो जाते हैं। मानवीय भावना प्रबल हो जाती है। जब माँ को अपने बेटे की जानलेवा बीमारी और उसकी बंगाली बहु द्वारा की गई सेवा की सूचना मिलती है, उसका पुत्र प्रेम प्रबल हो जाता है और वह अपने बहु बेटे को अपनाने का निश्चय करती है।
Answer:
माँ संक्रांति काल की एक वृद्धा , भारतीय तथा हिन्दू नारी है।वह एक भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की माँ है और अपने पुराने संस्कारों से बद्ध है। वह भावनाओं के बीच के द्वंद्व को बहुत मार्मिक ढंग से प्रदर्शित करती है। यह परिवार परम्पराओं से चली आ रही रूढ़िवादी संस्कारों को ढो रहा है। माँ मानवीय पारंपरिक तथा रुढ़िवादी संस्कारों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझती है। इसी कारण माँ अपने बड़े बेटे अविनाश के अंतर्जातीय विवाह को स्वीकार नहीं करती है। इसके कारण वह अपने बेटे से भी रिश्ता तोड़ देती है पर उसे इस बात का हमेशा दुःख रहता है। बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।जब माँ को अविनाश की बीमारी, उसकी पत्नी द्वारा की गई सेवा और उसकी जानलेवा बीमारी की सूचना मिलती है तब पुत्र-प्रेम की मानवीय भावना का प्रबल प्रवाह रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों के जर्जर होते बाँध को तोड़ देता है। माँ अपने बेटे और बहू को अपनाने तथा अपने घर वापस लाने का निश्चय करती है।