character sketch of the story bade ghar ki beti
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आनंदी में , आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना है वह अपने मायके की निंदा सहन नहीं कर सकती है ,यही कारण है कि उनका झगड़ा देवर से हो जाता है| एक जिम्मेदार बहु की तरह 'आनंदी ' भी घर को संभालती है ,तभी तो देवर से झगड़ा होने के बाद भी ससुरार को नहीं छोड़ती है | 'आनंदी ' उदार और बड़े दिल वाली महिला है | उन्होंने अपनी देवर की शिकायत पति से कर तो देती है लेकिन बाद में पछतावा होता है | बाद में देवर से भी क्षमा मांग कर उसे घर छोड़ने से रोक लेती है | घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाती है |
छोटी सी कहानी में आर्थिक, पारिवारिक और संस्कारिक मूल्यों का उन्होंने जो समावेश स्थापित किया है वह हमारे देश व समाज की संस्कृति की एक प्रतिध्वनि अपने पीछे छोड़ जाती है। सोमवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र(एनसीजेडसीसी) के प्रेक्षागृह में मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा लिखित कहानी 'बड़े घर की बेटी' के मंचन में कुछ ऐसा ही दिखा। श्रीकंठ शिक्षित है। शिक्षा और गुण के कारण वह आनंदी जैसी पत्नी पाता है। आनंदी संस्कारवान व शिक्षित है और श्रीकंठ का छोटा भाई लाल बिहारी शुद्ध देहाती और अनपढ़। पीढि़यों व परिवार के विपरित प्रवाह को एक संस्कारित नारी कैसे एक धरातल पर लाती है, सबका एकीकरण करती है, यही इस कहानी का उद्देश्य है। संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से विवेक कुलश्रेष्ठ द्वारा प्रस्तुत इस नाटक में श्रीकंठ की भूमिका में शुभम व आनंदी की भूमिका में शिवानी का अभिनय लाजवाब रहा। इसके अलावा भूप सिंह व वेणी माधव सिंह के अभिनय को भी दर्शकों ने खूब सराहा।