Charitra chitran of shyamu in kaki story
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प्रस्तुत कहानी 'काकी' में एक अबोध बालक का अपनी माँ के प्रति गहरा प्रेम प्रकट हुआ है। प्रस्तुत कहानी के रचनाकार सियारामशरण गुप्त जी का जन्म 4 सितम्बर, सन् 1885 ई. को चिरगाँव झाँसी में हुआ था। इन्होंने हिन्दी साहित्य में कविता, उपन्यास और निबन्ध की रचना की है। गुप्त जी की कविताओं में सामाजिक विसंगतियों पर क्षोभ, गाँधीवादी आदर्श, प्रकृति प्रेम और राष्ट्रीयता है। इनके उपन्यासों में नारी की सहनशीलता, आदर्श और सरलता है। इनकी प्रसिद्ध रचनाओं में 'मौर्य विजय', 'दूर्वादल', 'आत्मोत्सर्ग', 'गोद', 'नारी' आदि है।
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श्यामू का चरित्र चित्रण
श्यामू ५-६ साल का एक अबोध बालक जो प्रस्तुत कहानी का प्रमुख पात्र है . वह अपनी माँ को बहुत प्यार करता है . माँ के मर जाने के बाद वह हमेशा रोया करता है .रोना शांत हो जाने के बाद भी वह शोख में डूबा रहता है . आसमान में उडती पतंगों को देखर वह काकी के पास पतंग भेजना चाहता है ,जिस पर बैठ कर वह वापस श्यामू के पास आ जाय.
भावुक बालक - श्यामू अत्यंत भावुक बालक है . सबेरे जब श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा की घर के लोग उसकी काकी को घेर कर बैठे थे और करुण श्वर में विलाप कर रहे हैं. जब लोग काकी को शमशान ले जाने लगे तो वह काकी को नहीं जाने देता .बड़ी कठिनाई से उसे रोका जा सका.
दृढ़ बालक - श्यामू बहुत दृढ़ता से काम लेता है . पतंग देखकर वह पतंग को आसमान में भेजकर काकी को नीचे उतरना चाहता है .इसके लिए पिता के जेब से पैसे चोरी करने पर भी नहीं डरता .वह अपने मित्र भोला से मिलकर योजना बनायीं ,रस्सी ,पतंग तथा काकी के नाम का चिट सभी चीजों का प्रबंध किया .
सीधा और सरल - श्यामू सीधा व सरल बच्चा है .यही कारण है कि वह काकी को वापस पाने के लिए पतंग का सहारा लेता है .काकी पतली डोर पर नहीं आ पाएंगी इसीलिए वह मोती रस्सी का इंतजाम करता है .काकी अपना नाम पढ़कर वापस आये ,इसीलिए वह काकी के नाम का चिट लगाकर भेजता है .
अतः उपयुक्त बातों से यह पता चलता है कि श्यामू एक नादान बालक है जो की अपनी माँ से बहुत प्रेम करता है और उन्हें हर हाल में पाना चाहता है .उसकी भोलापन ,नादानी पाठकों के मन में गहरा प्रभाव डालती है .
Explanation:
श्यामू ‘काकी’ कहानी का मुख्य बाल पात्र है। श्यामू पाँच साल का एक अबोध तथा बहुत संवेदनशील बालक है। वह अपनी माँ से बहुत प्रेम करता है। माँ की मृत्यु के बाद वह हमेशा रोता रहता है। रोना शांत हो जाने के बाद भी वह शोक में डूबा रहता है। इससे पता चलता है कि श्यामू अत्यंत भावुक है। वह जन्म-मृत्यु के सत्य से अनजान है इसलिए उसे लगता है कि उसकी माँ ईश्वर के पास गई है जिसे वह पतंग और डोर की सहायता से नीचे उतार सकता है। इसलिए आकाश में उड़ती पतंग को देखकर वह काकी को पतंग द्वारा नीचे उतारने की योजना बनाता है, इससे श्यामू की सरलता एवं मासूमियत का पता चलता है। उसे ये नहीं पता कि काकी को पतंग के सहारे नीचे नहीं लाया जा सकता है। काकी पतली डोर के सहारे नहीं आ पाएगी, ये जानकर श्यामू बहुत दृढ़ता से काम लेता है और इस योजना के लिए उसे दुबारा चोरी भी करनी पड़ती है और वह मार भी खाता है।
अतः उपयुक्त बातों से यह पता चलता है कि श्यामू एक नादान बालक है जो कि अपनी माँ से बहुत प्रेम करता है और उन्हें हर हाल में पाना चाहता है। उसका भोलापन ,नादानी पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव डालती है।
श्यामू विश्वेश्वर का पुत्र है और उसकी काकी (माँ) का देहांत हो चुका है। वह एक अबोध बालक है। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है और उसका वियोग सह नहीं सकता। वह जन्म-मृत्यु के सत्य से अनजान है इसलिए उसे लगता है कि उसकी माँ ईश्वर के पास गई है जिसे वह पतंग और डोर की सहायता से नीचे उतार सकता है।