Hindi, asked by ishan2327, 1 year ago

Charu Chandra........... Ghoko se

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Answered by insha919
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HEY MATE
WHAT IS YOUR QUESTION
Answered by jayathakur3939
4

चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में

स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में

पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से

मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से

यह पंक्तियाँ "कवि मैथिली शरण गुप्त " नें अपने काव्य-ग्रंथ 'पंचवटी' में लिखी हैं |

पंक्तियों का अर्थ है :- सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल सभी स्थानों पर क्रीड़ा कर रही हैं। पृथ्वी से आकाश तक सभी जगह चंद्रमा की स्वच्छ चाँदनी फैली हुई है जिसे देखकर ऐसा मालूम पड़ता है कि धरती और आकाश में कोई धुली हुई सफेद चादर बिछी हुई हो। पृथ्वी हरे घास के तिनकों की नोंक के माध्यम से अपनी प्रसन्नता को व्यक्त कर रही है। मंद सुगंधित वायु बह रही है, जिसके कारण वृक्ष धीरे-धीरे हिल रहे हैं |

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