chatra mein badhti aapradhik pravriti ke karan aaur nivaran pe chota Sa essay likhiye
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आज जिस किसी भी अभिभावक से बात करो वह अपने बच्चे की उद्दंडता की उसके उग्र स्वभाव की शिकायत करते पाया जाता है. यहाँ तक कि आप कई अभिभावकों को अपने किशोरों के साथ मनोचिकित्सकों के क्लिनिक में चक्कर लगाते हुए भी देख सकते हैं और कुछ को ज्योतिषाचार्यों के पास मोटी राशि और वक्त बर्बाद करते हुए. अक्सर हमें अखबारों में स्कूली बच्चों द्वारा अपने ही किसी साथी पर प्रहार करने की या बलात्कार की घटनाएं आये दिन पढने को मिलती रहती हैं. और हम यह सोचते भी हैं कि आज की युवा पीढी को आखिर होता क्या जा रहा है? क्यों वह संस्कारों और मूल्यों को धता बताकर गर्त में गिरने को विवश हो रही है. मगर हम इन सवालों के जवाब ढूँढने के वजाय उन मासूम भटके हुए युवाओं को ही कोसने लगते हैं, लानतें देने लगते है.मगर उनके इस व्यवहार की पीछे क्या कारण हैं जानने की कभी कोशिश नहीं करते. आज के युवा के दिशाहीन होने का प्रमुख कारण है मीडिया.
आज बाजार का सब से बड़ा लक्ष्य हमारे युवा हैं.व्यापारियों एवं विज्ञापन निर्माण कर्ताओं को पता है कि युवा वर्ग ही उनके झांसे में आसानी से आ सकता है क्योंकि यह वह वर्ग है जो बहुत ही अकेला, दिशाहीन और चकाचोंध की तरफ जल्दी आकर्षित हो जाने वाला है. इनदिनों फिल्में भी रोमांस, फेंटेसी,मारधाड़ और वाहियात डायलोग से भरपूर बनायी जाने लगीं है, जो युवाओं को और ज्यादा भटकाव की ओर अग्रसर कर रही हैं जब से हालीवुड ने भारत का रूख किया है स्थिति और भी चिंताजनक हो गर्इ हैं। बे सिर पैर की एक्शन फिल्मे एनाकोंडा, डै्रकूला, वेम्प जैसी ना जाने कितनी फिल्मे बच्चो के दिमाग में फितूर भर रही हैं। वहीं रामलीला, दबंग, गुंडे, तेवर आदि हिंसा प्रधान फिल्मे युवाओ की दिशा बदल रही हैं। आज का युवा खुद को सलमान खान, शाहरूख खान, अजय देवगन, अर्जुन कपूर, शाहिद कपूर, अक्षय कुमार की तरह समझता हैं और उन्ही की तरह एक्शन भी करता है। यह तमाम फिल्मे संघर्षशीलता का पाठ पढाने की बजाये यह कह रही हैं कि पैसे के बल पर सब कुछ हासिल किया जा सकता है, छल, कपट, घात प्रतिघात, धूर्तता, ठगी, छीना झपटी, कोर्इ अवगुण नही हैं. इस पीढी पर फिल्मी ग्लैमर, कृत्रिमता, अश्लील साइट्स खुल्लम खुल्ला बाजार में उपलब्ध किताबें, व इन्टरनेट और मोबार्इल पर कामशास्त्र की जानकारी हमारे किशोरों को बिगाडने में कही हद तक जिम्मेदार हैं। इस ओर किशोरों का बढता रूझान ऐसा आकर्षण पैदा कर रहा हैं जैसे भूखे को चंदा रोटी की तरह नजर आता है।
tysm.#gozmit
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छात्रों के बीच अनुशासनहीनता के कारण: यह आम तौर पर कुछ अधिकारों और विशेषाधिकारों के कारण होता है जो छात्र अनुशासनहीनता के मार्ग का चयन करते हैं। अक्सर चरण में हमलों और प्रदर्शन
इस समस्या का असली कारण यह है कि इसे ध्यान में रखा जाए। लेकिन अकेले छात्रों को इसके लिए दोषी ठहराया जाना नहीं है। आज का छात्र निश्चित रूप से असंतुष्ट और असंतुष्ट युवा है।
विद्यार्थी का अनुशासनहीनता का मुख्य कारण झूठ है हमारी वर्तमान शैक्षणिक व्यवस्था। यह न तो हमारे छात्रों के चरित्र का निर्माण करता है और न ही उन्हें शिक्षा पूरी करने के बाद उनकी जिंदगी कमाने में सक्षम बनाता है। जैसे, युवाओं में पहल, आत्मविश्वास आदि जैसे गुणों की वृद्धि को बढ़ावा नहीं देता है।
विद्यार्थी आज एक दुर्भाग्यपूर्ण प्राणी है। कुछ उसके लिए प्रशंसा का एक काम है। माता-पिता उसके साथ नाखुश हैं क्योंकि वह अपनी पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेता और अवांछनीय गतिविधियों में अपना समय, धन और ऊर्जा बर्बाद करता है।
#Be Brainly❤️