chatra parasparam ____ in sanskrit ans
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कारक विभक्ति तथा उपपदविभक्तिः
1. कारक- जिन शब्दों का वाक्य में आई (प्रयोग की गई) क्रिया के साथ सीधा सम्बन्ध होता है, वे कारक कहलाते हैं। यथा-
‘रामः रावणं बाणेन मारयति।’ वाक्य में ‘मारयति’ (मारता है) क्रिया का सम्बन्ध, ‘रामः’ (राम) ‘रावणं’ (रावण को) ‘बाणेन’ (बाण द्वारा)-सभी पदों से है। ‘रामः’-क्रिया करने वाला-‘कर्ता’ (subject), ‘रावण’जिस पर क्रिया का प्रभाव-‘कर्म’ (object), बाणेन (बाण से),-क्रिया का साधन/उपकरण (instrument) करण कारक में है। इस वाक्य में मूल शब्द हैं-‘राम’, ‘रावण’ और ‘बाण’। क्रिया से सम्बन्ध के अनुसार वाक्य में इन शब्दों में रूपान्तरण आया है।
2. विभक्ति-संज्ञा शब्दों के साथ क्रिया के इस सम्बन्ध को प्रकट करने के लिए हम प्रत्ययों का प्रयोग करते हैं, वे विभक्ति कहलाती हैं। यथा- कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति, कर्म में द्वितीया और करण में तृतीया आदि।
हिंदी भाषा में जिस अर्थ को दर्शाने हेतु ‘ने’, ‘को’ में ‘पर’ आदि परसर्ग का प्रयोग किया जाता है और आंग्ल भाषा में ‘to, for, in, at’ आदि prepositions प्रयोग में लाए जाते हैं, संस्कृत में विभक्ति का प्रयोग उसी अर्थ को दर्शाने के लिए किया जाता है।
यथा- छात्र को (to the student) = छात्रम्, छात्र के लिए (for the student) = छात्राय, वृक्ष पर (on the tree) = वृक्षे, वृक्ष का (of the tree) = वृक्षस्य आदि।
कारक तथा विभक्ति
कारक सात हैं और विभक्तियाँ भी सात होती हैं। सम्बोधन प्रथमा विभक्ति के समान होता है।