Chatra Shikshak nibandh
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book me tyar karo jatra nibandh chatra me kya hota he yo likho
kavitadayalkdpeov77:
sorry this didn't help! Thank you for the pains!
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छात्र और शिक्षक
घर-प्रारंभिक पाठशाला, माता-पिता प्रथम शिक्षक – पूरा जीवन एक विदायक है | हर व्यक्ति विदार्थी भी है और शिक्षक भी | कोई भी मनुष्य किसी से कुछ सिख सकता है | बच्चे के लिए सबसे पहली पाठशाला होती है – घर | माता-पिता ही उसके प्रथम शिक्षक होते हैं | वे उसे ईमानदारी, सच्चाई या बेईमानी का मनचाहा पथ पढ़ा सकते हैं | वास्तव में माता-पिता जैसा आचरण करते हैं बच्चा उसी को सही मानकर ग्रेहन कर लेता है |
विद्यालय में शिक्षक ही माता-पिता – विद्यालय में शिक्षक ही माता-पिता के समान होते हैं | वे बच्चों को अपनी प्रिय संतान के समान मानते हैं | उन पर बच्चों को संस्कारित करने का दायित्व होता है | इसलिए वे अच्छे कुंभकार के समान बच्चों की बुरी आदतों पर चोट करते हैं तथा अच्छी बातों की प्रशंसा करते हैं | शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों की बुरी आदतों का समर्थन न करें, अपितु उन्हें उचित मार्ग पर लाने का प्रयास करें |
शिक्षक का दायित्व, पढ़ाना, दिशा-निर्देशन, सत्य्कार्यों की प्रेरणा – शिक्षकों का दायित्व केवल पुस्तकें पढ़ाना नहीं है | अपना विषय पढ़ाना उनका प्रथम धर्म है | उन्हें चाहिए कि वे अपने विषय को सरस और सरल ढंग से बच्चों को पढाएँ | उनका दूसरा दय्तिव है – बच्चों को सही दिशा बता
घर-प्रारंभिक पाठशाला, माता-पिता प्रथम शिक्षक – पूरा जीवन एक विदायक है | हर व्यक्ति विदार्थी भी है और शिक्षक भी | कोई भी मनुष्य किसी से कुछ सिख सकता है | बच्चे के लिए सबसे पहली पाठशाला होती है – घर | माता-पिता ही उसके प्रथम शिक्षक होते हैं | वे उसे ईमानदारी, सच्चाई या बेईमानी का मनचाहा पथ पढ़ा सकते हैं | वास्तव में माता-पिता जैसा आचरण करते हैं बच्चा उसी को सही मानकर ग्रेहन कर लेता है |
विद्यालय में शिक्षक ही माता-पिता – विद्यालय में शिक्षक ही माता-पिता के समान होते हैं | वे बच्चों को अपनी प्रिय संतान के समान मानते हैं | उन पर बच्चों को संस्कारित करने का दायित्व होता है | इसलिए वे अच्छे कुंभकार के समान बच्चों की बुरी आदतों पर चोट करते हैं तथा अच्छी बातों की प्रशंसा करते हैं | शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों की बुरी आदतों का समर्थन न करें, अपितु उन्हें उचित मार्ग पर लाने का प्रयास करें |
शिक्षक का दायित्व, पढ़ाना, दिशा-निर्देशन, सत्य्कार्यों की प्रेरणा – शिक्षकों का दायित्व केवल पुस्तकें पढ़ाना नहीं है | अपना विषय पढ़ाना उनका प्रथम धर्म है | उन्हें चाहिए कि वे अपने विषय को सरस और सरल ढंग से बच्चों को पढाएँ | उनका दूसरा दय्तिव है – बच्चों को सही दिशा बता
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