Hindi, asked by gyash4132, 1 year ago

chatro me barte anushasan hinta

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Answered by ishaagrawal
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छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता

अनुशासन, परंपरा और प्रतिष्ठा ! हाँ यह पढ़ते ही आपको महानायक अमिताभ बच्चन याद आ जाएंगे | छात्रों के लिए कठोर जरुर थे वह पर कुछ हद तक सही भी |

छात्र जीवन जिंदगी का सबसे एहम पड़ाव है | अक्सर लोग कहते हैं की 18 से 23 का उम्र वो होता है जिसमें एक छात्र अपना जीवन बना सकता है या उजाड़ सकता है | कॉलेज जीवन सबसे यादगार छात्र जीवन है | कॉलेज की मस्ती, दोस्त, कैंपस, कैंटीन, घूमना फिरना सबको जीवन भर याद रहता है , और सही भी है | पर उसके साथ साथ जो पढ़ जाए वह अपना करियर बना जाता है | अनुशासन हो तो ये सभी काम हो सकते हैं, सभी के लिए वक्त निकाला जा सकता है | पर अनुशासन न हो तो पढाई के लिए समय बस परीक्षाओं के समय निकलता है | जो छात्र निरंतर अभ्यास नहीं करते जाते उन्हें परीक्षा के दौरान कई समस्याएं आती हैं |

अनुशासनहीनता की वजह क्या है ? उसकी सबसे पहली वजह से एकाग्रता की कमी | एक समय पर एक चीज करने से पूरा ध्यान उसपे लगाते हैं हम पर आजकल की भाग दौड़ की जिंदगी में कई काम एक साथ करने की कला जिसे आती है वही आगे बढ़ता है | लेकिन छात्रों के लिए ऐसा नहीं है | क्योंकि पढाई के साथ साथ भी जो दूसरे काम वे करते हैं वो किसी काबिल नहीं | ये मोबाइल फ़ोन बार बार चेक करते रहना, कोई मैसेज आया क्या, मेरी फोटो पर कितने लाइक आए, उस लड़के ने या उस लड़की ने ऐसा क्यों कमेंट किया, यूट्यूब पर नया विडियो देखना है, इत्यादि ये सभी चीजें ध्यान भटकाती रहती हैं| कई छात्र फ़ोन बंद भी कर देते हैं पर फिर उन्हें फ़िक्र सताती है की दूसरा विषय पूरा बचा है, कम नंबर आए तो क्या होगा ? अगर अनुशासन से वे रहें | सुबह एक समय बनाएं उठने का चाहे वो जो हो पर हर दिन उसी समय उठें, नाश्ता करके कॉलेज जाएँ या अगर घर पर हैं तो थोड़ा पढ़ लें कम से कम 2 घंटे, फिर वापस कुछ अपने पसंद का काम करें, खाना खाने से पहले दोहरा ले जो सुबह पढ़ा था | दोपहर का खाना खाने के बाद पढ़ें | शाम को घूम लें, टीवी देख लें, दोस्तों से मिल आयें, खूब फ़ोन देख लें पर एक बार फिर पढने बैठे तो इस बार ज्यादा पढ़ें और मन से पढ़ें | शाम से रात सोने तक काफी समय मिलता है|

अनुशासनहीनता का कारण आजकल बदलती सोच | युवाओं को कुछ कर दिखाना है, लोगों के बीच जल्दी से प्रसिद्द होना है, जल्दी से पैसे कमाना है जिसकी वजह से वह पढाई के अलावा कमाने की सोचते रहते हैं, जुगाड़ पे जिंदगी कज्यादा दिन नहीं चलती| जब एक अच्छी डिग्री हाथ में आती है तब कमाने आ संघर्ष शुरू करना चाहिए क्योंकि सिर्फ एक वही काम होगा उस समय और पूरा ध्यान उसमें लगाना होगा | अनुशासन से हम हर चीज का समय निकाल पाते हैं | काम के जरुरी होने न होने का तोल मोल कर पाते हैं | 

Answered by Bhoomicharu
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता है तथा उसे समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है ।

विद्‌यार्थी जीवन में तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह वह समय होता है जब उसके व्यक्तित्व का निर्माण प्रांरभ होता है । दूसरे शब्दों में, विद्‌यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है ।

कोई भी विद्‌यार्थी अनुशासन के महत्व को समझे बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है । अनुशासन प्रिय विद्‌यार्थी नियमित विद्‌यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्‌वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है । वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है । वह जब किसी कार्य को प्रारंभ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है ।

अनुशासन में रहने वाले विद्‌यार्थी सदैव परिश्रमी होते हैं । उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं । उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्‌यार्थियों से एक अलग पहचान दिलाते हैं ।

अनुशासन केवल विद्‌यार्थियों के लिए ही आवश्यक नहीं है, जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है । अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्‌यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं ।

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