Hindi, asked by neha2349, 1 year ago

"Chaya mat Chuna" 10th class summary​

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Answered by Anonymous
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धूप के धान’ काव्य में संकलित कविता ‘छाया मत छूना’ में कवि अपने दुखी मन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि बीती बातों का स्मरण न करने में ही बुद्ध्मिानी है। उनके स्मरण से वह दुखी हो जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाएँगे। उनका जीवन कभी सुखद और सुहावने अनुभवों से भरा था। बीते जीवन के प्रसंगों और जुड़े लोगों को याद करते हुए वे वर्तमान को भूलकर उनमें खो जाते हैं। प्रिया के साथ बिताया समय, स्पर्श का सुख एक दुखद याद मात्रा बनकर रह जाती है। उन्हें उजली चाँदनी को देखकर प्रिया के केशों में टँके पुष्पों का भ्रम होता है। सैकड़ों सुंदर छवियाँ यादों में बसी उन्हें अलग-अलग ढंग से प्रभावित करती हैं। वे इनसे मुक्त होकर यथार्थ जीवन को जीने का आग्रह करते हैं।

कवि को जीवन में कभी यश, वैभव, मान और प्रभुता नहीं मिली, फिर भी वे इनकी मृगतृष्णा में बेतहाशा दौड़ते रहे। जीवन में समय रहते किसी भी सुख के न मिलने और सदा सब कुछ छिनते चले जाने से अत्यंत दुखी हो वे यह नहीं समझ पाए कि हर चाँदनी रात अपने पीछे एक काली अँधेरी रात भी लिए रहती है। सुखों के पीछे दुख भी छिपे रहते हैं। अतः केवल इस सत्य को समझकर यथार्थ का सामना करना चाहिए। दुविधा में पड़कर मनुष्य का साहस कम ही होता है और पथ दिखाई नहीं देता। अतः जो कुछ अब तक प्राप्त नहीं हुआ है, उसका स्मरण न करते हुए आगे बढ़ने को ही अपनी पहचान बनानी चाहिए। यथार्थ में जीना ही मनुष्य का सच्चा जीवन है।

⭐Mahir⭐


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Answered by biswaskumar3280
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Explanation:

1st stanza

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि छाया मत छूना अर्थात अतीत की पुरानी यादों में जीने के लिए मना कर रहा है। कवि के अनुसार, जब हम अपने अतीत के बीते हुए सुनहरे पलों को याद करते हैं, तो वे हमें बहुत प्यारे लगते हैं, परन्तु जैसे ही हम यादों को भूलकर वर्तमान में वापस आते हैं, तो हमें उनके अभाव का ज्ञान होता है। इस तरह हृदय में छुपे हुए घाव फिर से हरे हो जाते हैं और हमारा दुःख बढ़ जाता है।

2nd stanza

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अपने पुराने मीठे पलों को याद कर रहा है। ये सारी यादें उनके सामने रंग-बिरंगी छवियों की तरह प्रकट हो रही हैं, जिनके साथ उनकी सुगंध भी है। कवि को अपने प्रिय के तन की सुगंध भी महसूस होती है। यह चांदनी रात का चंद्रमा कवि को अपने प्रिय के बालों में लगे फूल की याद दिला रहा है। इस प्रकार हर जीवित क्षण जो हम जी रहे हैं, वह पुरानी यादों रूपी छवि में बदलता जाता है। जिसे याद करके हमें केवल दुःख ही प्राप्त हो सकता है, इसलिए कवि कहते हैं छाया मत छूना, होगा दुःख दूना।

3rd stanza

इन पंक्तियों में कवि हमें यह सन्देश देना चाहते हैं कि इस संसार में धन, ख्याति, मान, सम्मान इत्यादि के पीछे भागना व्यर्थ है। यह सब एक भ्रम की तरह हैं।

कवि का मानना यह है कि हम अपने जीवन-काल में धन, यश, ख्याति इन सब के पीछे भागते रहते हैं और खुद को बड़ा और मशहूर समझते हैं। लेकिन जैसे हर चांदनी रात के बाद एक काली रात आती है, उसी तरह सुख के बाद दुःख भी आता है। कवि ने इन सारी भावनाओं को छाया बताया है। हमें यह संदेश दिया है कि इन छायाओं के पीछे भागने में अपना समय व्यर्थ करने से अच्छा है, हम वास्तविक जीवन की कठोर सच्चाइयों का सामना डट कर करें। यदि हम वास्तविक जीवन की कठिनाइयों से रूबरू होकर चलेंगे, तो हमें इन छायाओं के दूर चले जाने से दुःख का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर हम धन, वैभव, सुख-समृद्धि इत्यादि के पीछे भागते रहेंगे, तो इनके चले जाने से हमारा दुःख और बढ़ जाएगा।कवि कहता है कि आज के इस युग में मनुष्य अपने कर्म पथ पर चलते-चलते जब रास्ता भटक जाता है और उसे जब आगे का रास्ता दिखाई नहीं देता, तो वह अपना साहस खो बैठता है। कवि का मानना है कि इंसान को कितनी भी सुख-सुविधाएं मिल जाएं वह कभी खुश नहीं रह सकता, अर्थात वह बाहर से तो सुखी दिखता है, पर उसका मन किसी ना किसी कारण से दुखी हो जाता है। कवि के अनुसार, हमारा शरीर कितना भी सुखी हो, परन्तु हमारी आत्मा के दुखों की कोई सीमा नहीं है। हम तो किसी भी छोटी-सी बात पर खुद को दुखी कर के बैठ जाते हैं। फिर चाहे वो शरद ऋतू के आने पर चाँद का ना खिलना हो या फिर वसंत ऋतू के चले जाने पर फूलों का खिलना हो। हम इन सब चीजों के विलाप में खुद को दुखी कर बैठते हैं।

इसलिए कवि ने हमें यह संदेश दिया है कि जो चीज़ हमें ना मिले या फिर जो चीज़ हमारे बस में न हो, उसके लिए खुद को दुखी करके चुपचाप बैठे रहना, कोई समाधान नहीं हैं, बल्कि हमें यथार्थ की कठिन परिस्थितियों का डट कर सामना करना चाहिए एवं एक उज्जवल भविष्य की कल्पना करनी चाहिए।

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