chetan se achetan mann shaktishali hota hai, example
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हमारे माइंड के तीन अलग अलग प्रकार होते है-
कॉन्सियस माइंड (Conscious Mind)- चेतन मन
सबकॉन्सियस माइंड (Sub-Conscious Mind) - अवचेतन मन
अन्न-कॉन्सियस माइंड (Un-Conscious Mind) - बेहोश या बेसुध मन
इन तीनों में सबसे ज्यादा पावरफुल सबकॉन्सियस माइंड होता है। सबकॉन्सियस माइंड का पूर्ण इस्तेमाल आजतक कोई नहीं कर पाया है। जितने भी कामयाब लोग गुजरे है या अभी जीवित है वो सभी लोग आम लोगों से ज्यादा अपने सबकॉन्सियस माइंड का इस्तेमाल करते है। इसीलिए वो कामयाबी की बुलंदियों तक पहुँचते है।
हम अपने माइंड के इन अलग अलग प्रकार को आइस-बर्ग के एक उदहारण से समझ सकते है -
समुन्द्र में पानी पर तैरती बड़ी बर्फ की चट्टान को आइस-बर्ग कहते है। आइस-बर्ग को पानी पर तैरता देख हमें ऐसा प्रतीत होता है जैसे बर्फ पानी पर तैर रहा है और उसका साइज भी लगभग उतना ही है जितना हम देख पा रहे है। लेकिन सच्चाई ये है के जो आइस-बर्ग का हिस्सा हम देख पा रहे है वो मात्र उस आइस-बर्ग का 10% ही है बाकी 90% तो पानी के भीतर है।
1. कॉन्सियस माइंड - अपनी दिनचर्या में हम जो भी सोचते है, महसूस करते है वो सभी कॉन्सियस माइंड द्वारा होता है। ये हमारे कुल माइंड का मात्र १०% ही होता है ठीक आइस-बर्ग के ऊपरी हिस्से की तरह। एक्टिव माइंड ही कॉन्सियस माइंड होता है। जो हजारों विचार दिनभर में हमारे माइंड आते है, चाहे वो पॉजिटिव हो या नेगेटिव, लॉजिक, डिसीज़न लेना, सोचने के बाद कोई भी एक्शन लेना आदि सभी कॉन्सियस माइंड के द्वारा किये जाते है। कॉन्सियस माइंड तभी तक एक्टिव रहता है जब तक हम जागते है। हमारे सोने के बाद कॉन्सियस माइंड भी शांत हो जाता है।
2. अन्न-कॉन्सियस माइंड - बेहोशी के समय अन्न-कॉन्सियस माइंड की स्टेट होती है।
3. सब-कॉन्सियस माइंड - अवचेतन मन: अपनी लाइफ में हम जो भी करते है वो सब अवचेतन मन की वजह से ही करते है। अपने अवचेतन मन का इस्तेमाल करके हम जो कुछ भी सीखते है वही हम ज़िन्दगी भर करते रहते है।
जिंदगी में व्यक्ति जो भी बड़ा काम करता है वो सिर्फ और सिर्फ अपने अवचेतन मन के कारण करता है। जिस भी इंसान ने अपने अवचेतन मन पर काबू कर लिया उसके लिए कोई भी बड़ा काम मुश्किल नहीं होता।
कोई भी बड़े काम की हम प्लानिंग तो कर लेते है लेकिन जब उसी काम की शुरुआत करते है तो बड़ी मुश्किलें आती है। लेकिन उस स्तिथि में अगर हमने कोशिश करनी छोड़ दी तो हमने अपने अवचेतन मन को प्राप्त ही नहीं किया। लेकिन उस मुश्किल परिस्तिथि में अगर हम फुल फीलिंग्स के साथ लगे रहते है तो हम अपने अवचेन मन को प्राप्त कर लेते है। धीरे धीरे वही चीज़ हमें आसान लगने लगती है और एक दिन हम उसे पा ही लेते है।