Social Sciences, asked by ashishbunkar2404, 6 months ago

छुआछूत की समस्या को दूर करने के लिए गांधीजी ने कौन कौन से तरीके अपनाएं​

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Answered by gadyaladitya
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Answer:

helo

Explanation:

canu tell in detail

Answered by priyanshi2004negi
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महात्मा गांधी छुआछूत के सख्त ख़िलाफ़ थे. वो चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगों को बराबरी का दर्जा हासिल हो क्योंकि सभी को एक ही ईश्वर ने बनाया है. उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.

ह‌दू धर्म में अनेक अच्छे विचार हैं, लेकिन अस्पृश्यता की विषवेल इस विराट वृक्ष को लगातार खोखला कर रही है। इन विचारों को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 23 जुलाई 1934 को फर्रुखाबाद आए थे। सरस्वती भवन व टाउनहाल में उनके विचारों को सुनने के लिए जन समूह उमड़ पड़ा था। हरिजन सेवक समाचार पत्र बाटकर उन्होंने छुआछूत की कलंकित प्रथा को समाप्त करने का लोगों से संकल्प लिया था।

बापू के विचारों का शुरू से ही फर्रुखाबाद के जनमानस पर प्रभाव था। 1921-22 में महात्मा गांधी के आह्वान पर जिले के कई राष्ट्रभक्तों ने सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। 22 सितंबर 1929 को वह अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ आए थे। टाउनहाल पर हुए कार्यक्रम में कस्तूरबा गांधी को देखने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं भी पहुंचीं।

इतिहास वेत्ता डा.रामकृष्ण राजपूत का कहना है कि गांधी जी के आने पर जिले में आजादी के दीवानों में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। सेठ शिवगुलाम दास ने 1001 रुपये की थैली भेंटकर सम्मानित किया। 1931 में नमक सत्याग्रह में जिले के 676 सत्याग्रही जेल गए।

23 जुलाई 1934 को उनका दौरा छुआछूत की बुराई को उखाड़ने के लिए समर्पित था। 92 वर्षीय डा.राजेंद्रनाथ गौड़ ने बताया कि वह अपनी मां लक्ष्मी देवी के साथ गांधी जी के कार्यक्रम में गए थे। बताया कि छुआछूत को जड़ से समाप्त करने के लिए उन्होंने आह्वान किया था। स्वराज्य कुटीर तक जन जागरण यात्रा भी निकाली थी।

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