(छ) ऐसा क्यों कहा कि- (1) जड़ नीचे की ओर जाएगी और तना ऊपर की ओर उठेगा। (ii) सोचकर देखा जाए तो हम भी प्रकाश की खुराक पाने पर ही जीवित है। (iii) ममता का परस पाते ही मानो माटी और अंगार फूल बन जाते हैं।
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वर्षा और बीज का क्या सम्बन्ध है?
उ १ वर्षा और बीज का घनिष्ठ सम्बन्ध है। वर्षा के होने पर ही बीज अंकुरित होतें हैं।
प्र २ लेखक ने अंकुर की तुलना किस्से और क्यों की है ?
उ २ लेखक ने अंकुर की तुलना शिशु से की है क्योंकि जिस प्रकार मानव का सबसे छोटा रूप शिशु है, उसी प्रकार अंकुर भी पौधे का सबसे छोटा रूप है।
प्र ३ पेड़ के शरीर में 'रास' कैसे पहुंचता है ?
उ ३ पेड़ के शरीर में 'रस' जड़ द्वारा मिट्टी से होकर पहुंचता है।
प्र ४ फूलों के घनिष्ठता किन - किन चीज़ों से है?
उ ४ फूलों की घनिष्ठता मधुमक्खियों तथा तितलियों से है।
प्र ५ पौधा अन्धकार से प्रकाश की ओर ही कइयों बढ़ता है ?
उ ५ पेड़ - पौधे सूर्य से ऊर्जा लेकर ही पल्लवित होतें हैं। इसलिए वे अन्धकार से प्रकाश की ओर ही बढ़ते हैं।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न उत्तर
प्र १ पौधे को औंधा क्यों लटकाए रखा गया ?
उ १ परीक्षण करने के लिए गमले को औंधा लटकाए रखा गया। परीक्षण यह जांचने के लिए था कि जड़ों का विकास निचे की ओर तथा तने का विकास ऊपर की ओर ही होता है।
प्र २ पेड़ - पौड़ी किस प्रकार का भोजन करते हैं ?
उ २ पेड़ - पौधे तरल द्रव्य या वायु से भोजन ग्रहण करते हैं। वे जड़ द्वारा माटी से रास पान करते हैं। माटी में पानी डालने पर उसकी भीतर बहुत - से तरल द्रव्य गाल जाते हैं। पेड़ - पौधे वे तमाम द्रव्य सोख लेते है तथा उसी द्रव्य से पोषित होते हैं।
प्र ३ आहार ग्रहण करने में पेड़ के पत्ते किस प्रकार मदद करते हैं ?
उ ३ पत्तों में अनगिनत छोटे - छोटे मुंह होते हैं। सूक्ष्मदर्शी यन्त्र की सहायता से अनगिनत मुंह पर अनगिनत होंठ दिखाई पडतें हैं। जब पेड़ को आहार की आवश्यकता होती है , तब इनके अनगिनत होंठ खुल जातें है तथा पेड़ पत्ते से आहार ग्रहण करते हैं।
प्र ४ अंगारक वायु सभी जीव - जंतुओं के लिए हानिकारक है , क्यों ?
उ ४ जब हम श्वास - प्रश्वास ग्रहण करते हैं तब प्रश्वास के साथ विषाक्त वायु बाहर निकलती है , जिसे 'अंगारक वायु' कहते हैं। यह अंगारक वायु ज़हरीली होने के कारण जीव - जंतुओं के लिए घातक होती है, क्युकी इसके सेवन से वे नष्ट होते हैं।
प्र ५ पेड़ - पौधे अंगारक वायु को कैसे शुद्ध करते हैं ?
उ ५ पेड़ के पत्तों पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है , तब पत्ते सूर्य - ऊर्जा के सहारे अंगारक वायु से अंगार समाप्त का डालते हैं। वहीँ अंगार पेड़ के शरीर में प्रवेश करके उसके विकास में मदद करती है। इस प्रकार पेड़ - पौधे अंगारक वायु का सेवन करके हमें शुद्ध वायु देते हैं।
प्र ६ मधुमक्खी के आगमन से पौधों का उपकार कैसे होता है ?
उ ६ मधुमक्खियां एक फूल के परागकण दुसरी फूल ले जाते हैं। इन पराग कानों के मिलने से ही बीज पकता है। बीज पकने पर ही नया पौधा जन्म लेता है। अत: यह कहा जा सकता है कि मधुमक्खियों के आगमन से पेड़ - पौधों का उपकार होता है।
प्र ७ ऐसा क्यों कहा गया ही कि ;
क जड़ नीचे की ओर जाएगी और तना ऊपर की ओर उठेगा ?
उ ऐसा इसलिए कहा गया है क्यूंकि, यह प्रकृति का नियम है कि पौधे प्रकाश की ओर ही बढ़ते हैं।
ख सोचकर देखा जाए तो हम भी प्रकाश की खुराक पाने पर ही जीवित हैं।
उ सूर्य का प्रकाश प्राणदायी होता है। हमारे द्वारा खाया जाने वाला अनाज और सब्ज़ियाँ सूर्य की प्रकाश से ही उपजती हैं। इसलिए यह कहा गया है कि हम भी सूर्य की खुराक पाने आर ही जीवित हैं।
ग ममता का पाससे पाते ही मानो माटी और अंगार फूल बन जाते हैं।
उ फूलों में ही पेड़ - पौधों की संतान - बीज पलते हैं। जब वे बढ़ते हैं तो मानो ऐसा लगता है कि पेड़ द्वारा सेवन की गई माटी और अंगार ममता से सराबोर होकर फूल बन गए हों।
सबकी दोस्त ,
लक्ष्मी। :-)))