छ) 'गौरी' कहानी की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इससे मिलने वाले संदेश का उल्लेख कीजिए।
Answers
Answer:
गौरी कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। कहानी में स्वतंत्रता आंदोलन के समय गौरी नामक पात्र के माध्यम से भारतीय नारी के उदात्त चरित्र को दिखाया गया है।गौरी उन्नीस वर्ष की राधाकृष्ण जी और कुंती की एक मात्र संतान है।उन्हें विवाह की चिंता सताए जा रही है। वे योग्य वर की तलाश थी। कहानी के प्रारम्भ में ही वे गौरी के लिए योग्य वर की तलाश में गए हैं। गौरी स्वयं विवाह का इतना महत्व नहीं देती है। वह अपने पिता को मना कर देना चाहती है कि आप इतना चिंता का करें। आप चाहे जिसके साथ और जहाँ भी विवाह करें ,वह सुखी रहेगी। गौरी आत्मग्लानि और क्षोभ में व्यथित थी।
योग्य वर की तलाश में राधाकृष्ण जी कानपुर गए थे।वहां पर वे एक ३५- ३६ वर्ष के आदमी से मिले जो विधुर था ,पत्नी के मर जाने दो बच्चों को पालने के लिए विवाह करना चाहता है। उसका नाम सीताराम था।कांग्रेस के दफ्तर में सेक्रेटरी थे। तीन -चार बार जेल जा चुके थे। रविवार के दिन वे बच्चों के साथ राधाकृष्ण के घर आये। साधारण सा आयोजन था। बच्चे भी खादी के कुर्ते व हाफ पेंट पहने हुए थे। घर में उनका स्वागत हुआ। कुंती को बच्चे बहुत प्यारे लगे। गौरी से बच्चे हिल मिल गए। बच्चों को गौरी ने मिठाई खिलाई ,हाथ मुँह धुलाया। अब बच्चे गौरी को साथ नहीं छोड़ना चाहते थे। किसी तरह बच्चों को सिनेमा ,सर्कस और मिठाई का प्रभोलन देकर कठिनाई से गौरी से अलग कर सके। गौरी भी सीताराम जी के व्यक्तित्वा से बहुत प्रभावित हुई। सीताराम मजी को पक्का हो चला था कि विवाह होगा केवल तारीख निश्चित करने भर ही देर है।
राधाकृष्ण और उनकी पत्नी को सीताराम जी पसंद नहीं आये।उन्होंने गौरी के लिए दूसरे वर की तलाश करनी शुरू की ,जल्द ही वर्ष का युवक है। बदशक्ल होते हुए भी राधाकृष्ण के यह वर अच्छा लगा। दोनों तरफ से विवाह की तैयारियाँ होने लगी। पर गौरी के मन में सीताराम जी के प्रति अपार श्रद्धा थी।वह नायब तहसीलदार से विवाह नहीं करना चाहती थी ,पर लोकलाज से नहीं कह पाती थी।
विवाह की निश्चित तारीख से पंद्रह दिन पहले ही नायब तहसीलदार की पिता की मृत्यु हो गयी , अब विवाह साल भर के लिए टल गया। गौरी के माता - पिता बड़े दुःखी हुए किन्तु गौरी के सिर पर जैसे चिंता का पहाड़ टूट पड़ा.
इसी बीच सत्याग्रह आंदोलन चला ,देश भर में गिरफ्तारियों का ताँता सा लग गया।राजद्रोह के अपराध में सीताराम जो एक साल का सश्रम कारावास हुआ। समाचार पढ़कर गौरी स्तब्ध रह गयी। उसने कानपुर बच्चों की देख रेख के लिए निश्चिय किया। कुंती गौरी का विरोश न कर सकी। नौकर के साथ गौरी कानपुर चली गयी।
सजा पूरी के होने के बाद सीताराम जी घर लौटते समय बच्चों के लिए गरम -गरम जलेबियाँ खरीदी और चुपके से घर में घुसे। परन्तु घर में कुंती को देखकर स्तब्ध रह गए। गौरी के झुक कर उनकी पद धुली अपने माथे से लगा ली।
Answer:
mark me as brainliestr
Explanation:
गौरी कहानी सुभद्राकुमारी चौहान जी द्वारा रचित है जिसका कथानक संक्षिप्त, प्रभावशाली एवं भावात्मक है गौरी कहानी में गौरी के माता-पिता को गौरी के विवाह की चिन्ता है इसी संदर्भ में गौरी के पिता राधाकृष्ण गौरी के लिए वर देखकर कानपुर से जब लौटते है तो उनको परेशान देखकर गौरी दुखी होती है और लगता है कि अपने माता-पिता की परेशानी का कारण वही है तब कुंती गौरी की माँ राधाकृष्ण जी से परेशानी का कारण पूछती है तो वह बताते है कि जो लड़का वह गौरी के लिए देखकर आए है वह लड़का नहीं 35-36 साल का आदमी है और उसके दो बच्चे हैं वह बच्चों के कारण की शादी कर रहा है और अगले इतवार को वह गौरी को देखने आ रहा है सीताराम जी अपने दोनों बच्चों के साथ गौरी को देखने आते है और के उनकी सादगी से गौरी बहुत प्रभावित होती है और छोटे बच्चों के प्रति भी उसके मन में प्रेम भावना उठ आती है तभी राधाकृष्ण जी का मन गौरी के रिश्ते को लेकर उदास ही रहता है उनका मानना था कि यह उनकी बेटी की तो दूसरी शादी नहीं है इसी कारण वह सीताराम जी को बहाना बनाकर कि गौरी की माँ पुराने ख्यालों की है जन्मपत्री भिजवा दीजिए सीताराम जी बात को समझ जाते है कि वह रिश्ता नहीं करना चाहते है। तब राधाकृष्ण जी गौरी का रिश्ता नायब तहसीलदार से तय कर देते हैं परन्तु गौरी का मन सीताराम जी की देश भक्ति और सादगी को ही महत्व देता है शादी के पन्द्रह दिन पहले नायब तहसीलदार जी के पिता की मृत्यु के कारण विवाह की तारीख टल जाती है गौरी के मन को तब राहत मिलती है। तभी गौरी समाचार पत्र में पढ़ती है कि सीताराम जी को राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें साल की जेल हो गई है गौरी बच्चों की चिन्ता करती है और अपनी माता से कानपुर जाने का पूछकर कानपुर चली जाती है साल बाद जब सीताराम जी घर लौटते हैं तो बच्चों के साथ गौरी को देखकर वह हैरान रह जाते हैं और गौरी उनकी चरण-धूलि माथे पर लगाती है इस प्रकार कहानी का भावात्मक अन्त होता है।