Hindi, asked by mariyamkhan3471, 4 months ago


छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी।
फिरती हैं रंग-रंग की तितली
रंग-रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते हों फूल स्वयं
उड़-उड़ वृंतों से वृंतों पर।

अब रजत-स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम तरु की डाली,
झर रहे ढाक, पीपल के दल
हो उठी कोकिला मतवाली। इन पंकतियो का भावार्थ लिखिए



Answers

Answered by arti260282
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Answer:

रंग रंग के फूलों पर सुंदर,

फूले फिरते ही फूल स्वयं

उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर।

भावार्थ - मटर के पौधे ऐसे लग रहे हैं जैसे सखियाँ मखमल की पेटियों में बीज छिपा कर खड़ी होकर हंस रही हैं। रंग बिरंगी तितलियाँ रंगीले फूलों पर उड़ रही हैं और हवा के झोंके से जब फूल एक डाली से दूसरी डाली को छूते हैं तो लगता है वे खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। समूचे तौर पर देखा जाए तो रंगों की छटा बिखरी हुई है।

अब रजत स्वर्ण मंजरियों से

लद गई आम्र तरु की डाली

झर रहे ढ़ाक, पीपल के दल

भावार्थ - आम के पेड़ की डाली चांदी और सोने की मंजरियों से लद गये हैं। आम के बौर की खुशबू आप पर नशे जैसा असर कर सकती है। पीपल के पत्ते झरने शुरु हो गये हैं

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