छीनता हो सत्व कोई, और तू
त्याग-तप के काम ले यह पाप है।
पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे
बढ रहा तेरी तरफ जो हाथ हो।
ras pehchan kar likhiye
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वीर रस ।छगफधथैकगडशरेईखषलररशझैअंरषड
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