छिप-छिप अश्रु बहाने वालो !
मोती व्यर्थ लुटाने वालो।
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
Answers
पूर्ण कविता-
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफरत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है!
अर्थ-यह कविता गोपालदास "नीरज" द्वारा रचित कविता है।
इस कविता में कवि ने मनुष्य को आगे बढ़ने के बारे में बताया है यदि जीवन में कुछ मुश्किलें आ जाए तो जीवन नहीं मर करता |
छीप-छीप कर आँसू बहाने वालों, बिना मतलब के रोने से, और कुछ सपनों के टूट जाने से जीवन नहीं मर करता |
सपना तो बंद आंखों और खुली आँखों द्वारा देखा जाता है, उसका टूटना तो कच्ची नींद की तरह है | कुछ मुसीबतें आ जाने से , जीवन नहीं मर करता | माला के टूट जाने से कुछ नहीं होता समय के साथ समस्या खुद ही हल हो जाती है|
रो-रो कर जीवन व्यतीत करने वालों , दुःख के साथ जीने वालों , छोटी-छोटी लड़ाई होने जाने से घर नहीं टुटा करता | हम अपने जीवन में कुछ खोते नहीं है बस समय के साथ बदल जाते है | जैसे रात के बाद सुबह आती है | सुबह धूप लेकर आती है |
वस्त्र बदलकर आए वालों , चल बदल कर चले जाने वालों | कुछ सपने टूट जाने , खिलौनों के खोने से, बचपन नहीं मरा करता है।
कवि उल्लेख-
जन्म 04 जनवरी 1924
निधन 19 जुलाई 2018
उपनाम नीरज
जन्म स्थान पुरावली, इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत
अन्य रचनाएं-दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की गीतीकाएँ, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के कारवां गुजर गया
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उपर्युक्त पंक्तियाँ गोपालदास द्वारा लिखित कविता से ली गयी है।
- अश्रु व्यर्थ बहाने वालो एक प्रेरक कविता है। सब ही लोगों को कभी न कभी असफलता का सामना करना ही पड़ता है। परन्तु इन सब के कारण अपनी अश्रु धरा को व्यर्थ क्यों करना।
- हमारे जो आंसू होते है वो मोती के समान होते है। उसे यु व्यर्थ क्यों गवाना। हमारे आंसू मोती जैसे ही कीमती और अमोल है इन्हे वर्थ नहीं करना चाइये।
- यदि जीवन का कोई सपना पूरा न भी हो सका तो इससे हम बुरा नहीं लगना चाइये। इससे हमारा सिर्फ एक सपना टूटा है। अभी आगे हमारी पूरी ज़िन्दगी पढ़ी है। हम और कई नए सपने देख सकते है और उन्हें पूरा भी कर सकते है।
#spj2