छिपी हुई बेरोजगारी का वर्णन कीजिए?
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छिपी बेरोजगारी: छिपी बेरोजगारी से आशय यह है कि जिसमें व्यक्ति स्पष्ट रूप से बेरोजगार दिखाई नहीं देता है| व्यक्ति काम तो कर रहा होता है लेकिन उसे उतना उत्पादन नहीं मिल पाता है| श्रमिक को अपनी योग्यता से कम कार्यों में काम करना पड़ता है| जैसे आज कल मनुष्य बहुत पढ़े-लिखे लेकिन उन्हें अपनी पढ़ाई हिसाब से रोजगार नहीं मिल पाता उन्हें पैसे कमाने के लिए कोई भी काम करना पड़ता है | इस प्रकार के काम लोगों की बेरोजगारी को छिपी हुई बेरोजगारी कहते है|
आज कल लोग पी.एच.डी करके भी कलर्क और चपरासी की नौकरी पड़ रही है| देखने को तो यह लोग नौकरी कर रहे है पर उन्हें अपनी पढ़ाई के हिसाब से वेतन नहीं पाता|
कृषि में आवश्यकता से अधिक श्रम लगा रहता है इसके कारण श्रम की उत्पादकता कम होती है|
उत्पादकता वह कम आमदनी के रूप में प्रकट होती है|
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