Hindi, asked by sinhayugal5, 7 months ago

छोटी-बड़ी कई झीलें हैं
उनके श्यामल-नील सलिल में
समतल देशों से आ-आकर
पावस की ऊमस से आकुल​

Answers

Answered by Anonymous
8

Answer:

Explanation:

प्रसंग –  पर्वत की चोटियों पर छाई मेघमाला कवि के हृदय में कालिदास द्वारा रचित विरह काव्य मेघदूत का स्मरण करा देती है। कवि पर्वतीय प्रदेश में मेघदूत के पात्रों एवं स्थानों को खोजने का प्रयास करता है , जिसमें उसे निराशा ही मिलती है।

व्याख्या –  कवि  निराशा के स्वर में कहता है कि ना जाने वह धनपति कुबेर जिसने यक्ष को निर्वासन का दंड दिया था। कहां चला गया , उसकी वैभव नगरी जिसका नाम अलकापुरी था , उसका भी कोई निशान नहीं दिखाई दे रहा है। कालिदास ने अपने प्रसिद्ध विरह काव्य मेघदूत में जिस आकाशगंगा का वर्णन किया है , वह भी ना जाने कहां बसती है। उस आकाशगंगा का जल भी कहीं दिखाई नहीं देता। मेघदूत के पात्रों एवं स्थलों को प्रयास करने के बाद भी कभी नहीं खोज पाता है , जो मेघ का दूत बनकर अलकापुरी भेजा था। वह मेघदूत भी न जाने कहां गया , संभवत वह इसी पर्वत पर बरस पड़ा होगा।

कवि कहता है बादलों ने प्रेम संदेश दिया हो या ना हो शायद वह कालिदास की कल्पना में ही उपजा था , लेकिन मैं इस पर्वत प्रदेश में भीषण सर्दी में गगनचुंबी कैलाश पर्वत पर मेघ खंडों को तूफानी हवाओं से टकराते हुए देखा है ।

Similar questions