छोटी-बड़ी कई झीलें हैं
उनके श्यामल-नील सलिल में
समतल देशों से आ-आकर
पावस की ऊमस से आकुल
तिक्त मधुर बिसतंतु खोजते
हंसो को चीरते देखा है
बादल को घिरते देखा है
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संदर्भ-- प्रस्तुत पद्यांश कवि "नागार्जुन"द्वारा रचित कविता ' बादल को घिरते देखा है ' से लिया गया है l
प्रसंग -- प्राकृतिक उपदनो का वर्णन किया है l
व्याख्या -- कवि कहते है कि इस स्वेत हिम पर्वत पर कई छोटे - बड़े झील के काले - नीले जल में विभिन्न स्थान से आए पछी कीड़े - मकोडो को खोजते दिखाई देते है l बादलो को घिरते और उन झीलों में हंसो को तैयार हुए कवि ने देखा है l
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