छोटे-बड़े और उँच जिच के बारे
मे रहीम कया
संदेश देते है।
Answers
Explanation:
खीरा के मुख काटि के मलियत लोन लगाय
रहिमन करूक मुखन को चहिय यही सजाय ।
खीरा के तिक्त स्वाद को दूर करने के लिये उसके मुॅह को काट कर उसे नमक के साथ रगड़ा जाता है ।
इसी तरह तीखा वचन बोलने बालेंां को भी यही सजा मिलनी चाहिये।कठोर वचन बोलने बालों का त्याग और नम्र बचन बाले लोगों का स्वागत
करना चाहिये।
अनुचित बचन न मानिये जदपि गुराइसु गाढि
है रहीम रघुनाथ ते सुजस भरत की बाढि ।
बहुत जोर जबर्दस्ती या दबाब के बाबजूद अनुचित बात मानकर कोइ्र्र काम न करें।
यदि आपका हृदय नही कहे या कोई बड़ा आदमी भी गलत कहे तो उसे कभी न माॅनें ।
रहिमन ब्याह वियाधि है सकहुॅ तो जाहु बचाय
पायन बेडी पडत है ढोल बजाय बजाय ।
शादी ब्याह एक सामाजिक रोग है-संभव हो सके तो इससे बचना चाहिये।
यह एक तरह का पाॅव में बेड़ी है।बस घर परिवार का ढोल बजाते रहो।
रहिमन तीर की चोट ते चोट परे बचि जाय
नयन बान की चोट तैं चोट परे मरि जाय ।
रहीम कहते हैं कि तीर की चोट पड़ने पर कोई ब्यक्ति बच सकता है किंतु नयनों की मार से कोई नही बच सकता।
नयन वाण की चोट से मरना-समर्पण अवश्यंभावी है ।
रहिमन मन की भूल सेवा करत करील की
इनतें चाहत फूल जिन डारत पत्ता नही ं।ं
करील काॅटे बाला पौधा है।इसकी सेवा करना ब्यर्थ है।इसमें फूल और फल की इच्छा बेकार है।
इसके डाल पर तो पत्ते भी नही होते हैं।दुर्जन से सज्जनता की इच्छा करना बेकार है।
जो रहीम ओछो बढै तो अति हीं इतराय
प्यादे सेंा फरजी भयो टेढेा टेढेा जाय ।
नीच ब्यक्ति का स्वभाव नही बदलता। उन्नति के साथ उसकी नीचता बढती जाती है।
शतरंज में प्यादा जब मंत्री बन जाता है तो उसकी चाल टेढी हो जाती है।
रहिमन याचकता गहे बड़े छोट ह्वै जात
नारायराा हू को भयो बाबन आंगुर गात ं।
भिक्षा माॅगने बाला बड़ा ब्यक्ति भी छोटा हो जाता है।
भगवान विश्नु को भी मांगने के लिये महाराज बलि के पास बाबन अंगुली का बौना-बामन अवतार लेना पड़ा था।
रहिमन वित्त अधर्म को जरत न लागै बार
चोरी करि होरी रची भई तनिक में छार ।
अधर्म से कमाया गया धन के विलुप्त होने में देर नही लगती।
होलिका दहन के लिये लोग चोरी करके लकड़ियाॅ जमा करते हैं जो तुरंत हीं जलकर राख हो जाता है।
बेईमानी से अर्जित धन राख की ढेरी के समान हैं।
रहिमन सूधी चाल में प्यादा होत उजीर
फरजी मीर न ह्वै सकै टेढे की तासीर ।
शतरंज में सीधे सीधे चलने से प्यादा भी वजीर हो जाता है पर टेढे टेढे चलने का फल है कि मंत्री कभी भी बादशाह नही बन पाता है।
उच्च पद पाने हेतु सीधापन होना चाहिये।कपट से कोई बड़ा नही बन सकता हैं।
रहिमन चाक कुम्हार को मांगे दिया न देई
छेद में डंडा डारि कै चहै नांद लै लेई ।
कुम्हार के चाक से दीया मांगने पर वह नही देता है।
जब कुम्हार उसके छेद में डंडा डालकर चलाता है तो वह दीया के बदले नाद भी दे देता है।
दुर्जन ब्यक्ति नम्रता को कमजोरी मानता है।
तब उस पर दंड की नीति अपनानी पड़ती है।
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