छोटी-छोटी अनुवाद सुबह-सुबह से पूर्व लिखित की शक्ति लेखक
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Explanation:
अंग्रेज़ी में कहावत है, 'अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज़, मेक्स अ मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज़'. मतलब जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं और रात को जल्दी सोते हैं, वो सेहतमंद रहते हैं, अक़्लमंद होते हैं और, उनके पास पैसे की भी कमी नहीं होती.
कहावत तो ठीक, मगर क्या वाक़ई ऐसा होता है? चलिए इसका पता लगाते हैं.
इंग्लैंड में रहने वाले टिम पॉवेल को सुबह उठना बिल्कुल पसंद नहीं. लेकिन वो रोज़ सुबह छह बजे से पहले उठ जाते हैं. वो जिम में जाकर वर्ज़िश करते हैं. काम पर जाने की तैयारी करते हैं और सुबह नौ बजे का काम शुरू होने से पहले ही दफ़्तर पहुंच जाते हैं. काम शुरू करने से पहले, वो अपने ऑफ़िस के पास बने पार्क में थोड़ी देर टहल भी लेते हैं.
गुरुवार का दिन तो टिम के लिए और भी जल्दी शुरू होता है. वो सुबह 5 बजकर बीस मिनट पर ही बिस्तर छोड़ देते हैं. इस दिन वो नौकरी पर जाने से पहले जर्मन भाषा सीखने जाते हैं.
अंग्रेज़ी में कहावत है, 'अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज़, मेक्स अ मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज़'. मतलब जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं और रात को जल्दी सोते हैं, वो सेहतमंद रहते हैं, अक़्लमंद होते हैं और, उनके पास पैसे की भी कमी नहीं होती.
कहावत तो ठीक, मगर क्या वाक़ई ऐसा होता है? चलिए इसका पता लगाते हैं.
इंग्लैंड में रहने वाले टिम पॉवेल को सुबह उठना बिल्कुल पसंद नहीं. लेकिन वो रोज़ सुबह छह बजे से पहले उठ जाते हैं. वो जिम में जाकर वर्ज़िश करते हैं. काम पर जाने की तैयारी करते हैं और सुबह नौ बजे का काम शुरू होने से पहले ही दफ़्तर पहुंच जाते हैं. काम शुरू करने से पहले, वो अपने ऑफ़िस के पास बने पार्क में थोड़ी देर टहल भी लेते हैं.अंग्रेज़ी में कहावत है, 'अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज़, मेक्स अ मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज़'. मतलब जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं और रात को जल्दी सोते हैं, वो सेहतमंद रहते हैं, अक़्लमंद होते हैं और, उनके पास पैसे की भी कमी नहीं होती.
इंग्लैंड में रहने वाले टिम पॉवेल को सुबह उठना बिल्कुल पसंद नहीं. लेकिन वो रोज़ सुबह छह बजे से पहले उठ जाते हैं. वो जिम में जाकर वर्ज़िश करते हैं. काम पर जाने की तैयारी करते हैं और सुबह नौ बजे का काम शुरू होने से पहले ही दफ़्तर पहुंच जाते हैं. काम शुरू करने से पहले, वो अपने ऑफ़िस के पास बने पार्क में थोड़ी देर टहल भी लेते हैं.
अमरीका की मिशिगन में अल्बियन कॉलेज की एसोसिएट प्रोफ़ेसर मारिके वीथ कहती हैं कि जैसे सुबह उठने वाले अपने समय का फ़ायदा उठा लेते हैं, वैसे ही रात में देर तक जागने वाले भी सुबह के रूटीन से फ़ायदा उठा सकते हैं. उन्होंने अपनी रिसर्च में ये पाया है कि रात में देर तक जागने वाले, सुबह के वक़्त ज़्यादा क्रिएटिव होते हैं. इस वक़्त का वो अपने लिए फ़ायदा उठा सकते हैं.
कहावत तो ठीक, मगर क्या वाक़ई ऐसा होता है? चलिए इसका पता लगाते हैं.