छूट एक तालाब था। उसमें एक कछुआ रहता था। वह बहुत बातूनी था। वहीं दो हंस भी रहते थे। वे उसके अच्छे मित्र बन गए थे। एक साल वहाँ बरसात बहुत कम हुई। तालाब का पानी सूखने लगा। हसों ने कछुए के साथ दूसरे तालाब पर जाने का निश्चय किया। वे एक लकड़ी ले आए और उसका एक-एक सिरा अपनी-अपनी चोंच से पकड़ लिया। बीच का भाग कछुए ने अपने मुँह से पकड़ लिया। हंसों ने कछुए से कहा, "भाई, तुम रास्ते में बोलना मत। बोलोगे तो लकड़ी मुँह से जाएगी और तुम नीचे गिर पड़ोगे।" दोनों हंस कछुए को लेकर उड़ने लगे। रास्ते में एक गाँव आया। गाँव के लोग इस प्रकार कछुए को लेकर उडते हसों को देखने के लिए जमा हो गए। लोगों को देखकर कछुए से चुप रहा न गया। उसने बोलने के लिए मुंह खोला। उसी समय लकड़ी उसके मुँह से छूट गई और वह जमीन पर गिर पड़ा और मर गया।
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छूट एक तालाब था। उसमें एक कछुआ रहता था। वह बहुत बातूनी था। वहीं दो हंस भी रहते थे। वे उसके अच्छे मित्र बन गए थे। एक साल वहाँ बरसात बहुत कम हुई। तालाब का पानी सूखने लगा। हसों ने कछुए के साथ दूसरे तालाब पर जाने का निश्चय किया। वे एक लकड़ी ले आए और उसका एक-एक सिरा अपनी-अपनी चोंच से पकड़ लिया। बीच का भाग कछुए ने अपने मुँह से पकड़ लिया। हंसों ने कछुए से कहा, "भाई, तुम रास्ते में बोलना मत। बोलोगे तो लकड़ी मुँह से जाएगी और तुम नीचे गिर पड़ोगे।" दोनों हंस कछुए को लेकर उड़ने लगे। रास्ते में एक गाँव आया। गाँव के लोग इस प्रकार कछुए को लेकर उडते हसों को देखने के लिए जमा हो गए। लोगों को देखकर कछुए से चुप रहा न गया। उसने बोलने के लिए मुंह खोला। उसी समय लकड़ी उसके मुँह से छूट गई और वह जमीन पर गिर पड़ा और मर गया।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है :
उत्तर : प्रश्न में दी गई कहानी दो हंसों और एक कछुए की है | जो आपस में बहुत अच्छे दोस्त है | एक बार जब तालाब का पानी सुख जाता है , दोनों हंस उसे बाहर निकालने में मदद करते है |
शिक्षा: हमें कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें उचित समय आने पर ही बोलना चाहिए। यदि कोई हमें हमारी भलाई के लिए सलाह देता है , तब हम सामने वाले की बात माननी चाहिए |
कछुए तथा हंसों की कहानी से हमें निम्नलिखित सीख मिलती है।
- बातें करना अच्छी बात है परन्तु बातूनी होना कभी कभी हानिकारक साबित होता है।
- कछुआ बातूनी था इसलिए अपनी जान गंवा बैठा।
- हमें जब जरूरी हो तब ही बात करनी चाहिए, किसी को बिना मांगे सलाह नहीं देनी चाहिए।
- हंसों ने कछुए से बात करने के लिए मना किया था , यदि कछुआ उनकी बात मानकर थोड़ी देर के लिए अपना मुंह बंद रखता तो उसकी जान बच जाती।