छंटिगा कोहिरा निकरा घाम
मास्टर जईहे करिहें काम
ड्रेस का बाटि के कीन्हि आराम
मिलिगा देखो दूसर झाम
जूता मोजा बाँटि दिहिस सरकार
स्वेटर मा दिहिस खीस निकार
नेता अफसर होइगे सब हैरान
अब करिहें मास्टर बलवान
योगी जी की बाधा कटिहैं
200 मा ई स्वेटर बटिहें।
*#व्यंग*
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beautifully poem.. but nothing to answer...
Anonymous:
bhojpuriya
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Very nice poem thnkuu
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