छाते की आत्मकथा' विषय पर निबंध लिखो।
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मैं छाता हूं। मुझे कई नामों से पुकारा जाता है। जैसे की छतरी, छत्र या फिर अंग्रेजी में मुझे अंब्रेला बोलते हैं। मैं बारिश से बचाव करता हूँ. मैं धूप से भी बचाव करता हूँ। लेकिन मैं अधिकतर बारिश में ही प्रयोग में लाया जाता हूं अर्थात बारिश का मौसम ही मेरा मुख्य कर्मसमय है। जब मुझे जगह जगह घूमने को मिलता है और हर व्यक्ति के हाथ में मैं नजर आता हूं। नहीं तो बाकी पूरे साल में खूंटी पर टंगा रहता हूं या कहीं सामान के बीच में दबा हुआ कोने में पड़ा रहता हूं।
जब बारिश का मौसम आता है, तब लोगों को मेरी याद आती है और वह मुझे अपने घर के कोने से निकालकर साफ करके हमेशा मुझे अपने साथ लेकर चलते हैं। तब मुझे जगह-जगह की सैर करने को मिलता है। तब मुझे बड़ा आनंद आता है। वो रिमझिम फुहारें और सुहावना मौसम। मेरा मन करता है काश पूरे साल मुझे यूं ही जगह-जगह बाहर जाने को मिलता। लेकिन प्रकृति ने मेरा काम जो दिया है वह केवल सीमित समय के लिए दिया है। महिलायें अक्सर धूप में भी मुझे लेकर निकलती है, ताकि उन्हें धूप से बचाव मिले और उनका रंग काला ना पड़े।
प्राचीन समय में मेरा बड़ा महत्व था। मैं सम्मान का प्रतीक था। बड़े-बड़े राजा महाराज मुझे तरह-तरह रंगीन वस्त्रों से बनाकर मेरा प्रयोग करते थे और जो मेरा प्रयोग करते थे, वह छत्रपति कहलाते थे। तब मैं बड़े-बड़े राजा महाराजाओं की शान था और उनके सेवक मुझे साथ लेकर चलते और राजा महाराजाओं के सर के ऊपर लगाये रखते।
बाद में समय बदलता गया और मैं राजा महाराजाओं से आम जनता की उपयोग की वस्तु बनता गया। अब मैं नए-नए रंग बिरंगे रूपों में बाजार में पाया जाता हूँ। आज मैं हर व्यक्ति के हाथ में नजर आता हूं यह मुझे एक सुखद अहसास देता है।
छाते की आत्मकथा' विषय पर निबंध :
मेरा नाम छाता है , आज मैं आपको अपनी आत्मकथा सुनाना चाहता हूँ |
व्याख्या :
मैं एक छाता हूँ | मेरा रंग भले ही काला है पर मेरे काम काले नहीं हैं | मैं ही हूँ जो तपती गर्मी में ठंडक का एहसास दिला सकता हूँ | मैं ही वो छाता हूँ जो भरी बरसात में खुद गीला होकर सबको सूखा रखता हूँ | मैं और भी कई तरह के रंगों में पाया जाता हूँ | मैंने अपने जीवन काल में एक गरीब व्यक्ति से लेकर बहुत बड़े अमीर व्यक्ति के पास पाया जाता हूँ | मेरे बिना सबका जीवन अधूरा है | मैं अपने काम में माहिर हूँ | मुझे सबकी सहायता करने में बहुत मजा आता है |