छोटे मुँह से कैसे कह दूँ
इस भारत की बात रे।
सोने जैसे दिन हैं इसके
चाँदी जैसी रात रे।
उजला मुकुट हिमालय इसका
औ' नदियों की माला है,
पद-वन्दन करता श्रद्धा से
नील सिन्धु मतवाला है।
अनुपम सुन्दरता ने दी है
सारे जग को मात रे!
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एक बगीचा देश हमारा
फूल अनेकों खिलें यहाँ,
अलग-अलग हैं ऊप-रंग पर
सधी प्रेम से मिलें यहाँ।
पतझड़ में भी मुसकाते हैं
इस उपवन के पात रे।
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Hey..mate what we have to do in.this..cant understand it..
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