छोटा नागपुर
क्षेत्र के मुंडा और संथाल निम्नलिखित में से किस
पेड़ की पूजा करते हैं?
O
Tamarind इमली
Peepal
O Mango आम
O Mahua महुआ
Answers
Answer:
मुंडा भारत की एक जनजाति है, जो मुख्य रूप से झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र में निवास करता है। झारखण्ड के अलावा ये बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा आदि भारतीय राज्यों में भी रहते हैं। इनकी भाषा मुंडारी आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की एक प्रमुख भाषा है। उनका भोजन मुख्य रूप से धान, मड़ुआ, मक्का, जंगल के फल-फूल और कंद-मूल हैं। वे सूत्ती वस्त्र पहनते हैं। महिलाओं के लिए विशेष प्रकार की साड़ी होती है, जिसे बारह हथिया (बारकी लिजा:) कहते हैं। पुरुष साधारण-सा धोती का प्रयोग करते हैं, जिसे तोलोंग कहते हैं। मुण्डा, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। २० वीं सदी के अनुसार उनकी संख्या लगभग १,०००,००० थी
Answer:
Explanation:
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निर्देशांक: 23°21′N 85°20′E
छोटा नागपुर पठार
Plateau
Shikharji 2004a.jpg
पारसनाथ पहाड़ी, छोटा नागपुर पठार का सबसे ऊँचा स्थान
देश Flag of भारत भारत
राज्य झारखंड, उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल
शहर राँची, जमशेदपुर
नदियां दामोदर नदी, स्वर्णरेखा नदी, बराकर नदी
निर्देशांक 23°21′N 85°20′E
उच्चतम बिंदु पारसनाथ पहाड़ी
- ऊँचाई 1,350 मी. (4,429 फीट)
- निर्देशांक 23°57′40″N 86°08′14″E
राँची स्थित हुँडरु जलप्रपात
छोटा नागपुर पठार पूर्वी भारत में स्थित एक पठार है। झारखंड राज्य का अधिकतर हिस्सा एवं पश्चिम बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ के कुछ भाग इस पठार में आते हैं। इसके पूर्व में सिन्धु-गंगा का मैदान और दक्षिण में महानदी हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 65,000 वर्ग किमी है।[1]
अनुक्रम
1 नामोत्पत्ति
2 बनावट
3 अन्य विवरण
4 इन्हें भी देखें
5 सन्दर्भ
नामोत्पत्ति
इस पठार के नाम में 'नागपुर' शायद यहाँ पर प्राचीनकाल में राज करने वाले नागवंशी राजाओं से लिया गया है। 'छोटा' शब्द राँची से कुछ दूरी पर स्थित 'छुटिया' नामक गाँव का परिवर्तित रूप है जिसमें नागवंशियों के एक पुराना दुर्ग के खँडहर मौजूद हैं।[2]
https://besttalk.in/post/the-universe-geography-in-hindi.html[मृत कड़ियाँ]
The Universe Geography In Hindi[मृत कड़ियाँ]
बनावट
छोटा नागपुर की पत्थरीली परतों के भूवैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि इसमें अतिप्राचीन गोंडवाना महाद्वीप की चट्टानें हैं, यानि इस पठार का विकास बहुत ही पुराना है। यह दक्कन पठार का पूर्वोत्तरी खंड था जो दक्कन तख़्ते के साथ-साथ गोंडवाना के खंडित होने पर आज से लगभग 12 करोड़ साल पहले अलग होकर 5 करोड़ वर्षों तक उत्तर दिशा में चलता रहा और फिर यूरेशिया से जा टकराया।[3]
अन्य विवरण
इस पठारी क्षेत्र में कोयला का अकूत भंडार है जिससे दामोदर घाटी में बसे उद्योगों के उर्जा संबंधी आवश्यकतायें पूरी होती हैं। छोटानागपुर का पठार तीन छोटे छोटे पठारों से मिलकर बना है जिनमे राँची का पठार, हजारीबाग का पठार और कोडरमा का पठार शामिल है। राँची पठार सबसे बड़ा पठार है जिसकी औसत ऊँचाई 700 मीटर है। पूरे छोटानागपुर पठार का क्षेत्रफल लगभग 65,000 वर्ग किलो मीटर है।
पठार का ज्यादातर हिस्सा घने जंगलों से आच्छादित है जिनमें साल के वृक्षों की प्रमुखता है और इस क्षेत्र में वन क्षेत्र का प्रतिशत देश के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा है। इस पठार पर हाथी और बाघ के संरक्षण के लिये बनाये गये कई प्रमुख अभयारण्य स्थित हैं।