छोटा नागपुर क्षेत्र में अंग्रेजों के विरोध में हुए आंदोलन में शहीद विरसा मुण्डा' की भूमिका को लिखिए।आंसर बताइए इसका जरा
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¿ छोटा नागपुर क्षेत्र में अंग्रेजों के विरोध में हुए आंदोलन में शहीद विरसा मुण्डा' की भूमिका को लिखिए।
✎... छोटा नागपुर क्षेत्र में अंग्रेजों के विरोध में हुए आंदोलन में शहीद बिरसा मुंडा की भूमिका इस प्रकार है...
बिरसा मुंडा आदिवासी जनजाति के व्यक्ति थे, जिन्होंने 15 वर्ष पुरानी किसानों लड़ाई को एक जागरूक सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलन का रूप दिया। झारखंड की आदिवासी जनजाति के किसान जमीदारों के हाथों अपनी जमीन खोने लगे थे, जिसके कारण उनमें विद्रोह की भावना प्रबल होने लगी थी। उसी समय अंग्रेजों ने जंगलों को आरक्षित कर दिया, जिससे किसानों में विद्रोह की चिंगारी भड़क उठी। यह आंदोलन लंबे समय तक चलता रहा।
इस आंदोलन को सही दिशा तब मिली जब बिरसा मुंडा ने इस आंदोलन में पदार्पण किया। अनेक अन्य आदिवासियों की तरह बिरसा मुंडा पहले ईसाई धर्म में दीक्षित थे लेकिन ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों के कारण उन्होंने ईसाई धर्म का परित्याग कर अपने सरना धर्म में वापस आए और आंदोलन को नई दिशा दी।
1895 बिरसा ने आदिवासियों से लगान नही देने तथा अंग्रेजी कानूनों को तोड़ने का आह्वान किया। अंग्रेज सरकार इस बात से खफा होकर उसने बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करके कैद कर लिया। 1897 में रिहा होने के बाद चामुंडा भूमिगत हो गए और अंग्रेजो के खिलाफ संगठित सेना बनानी शुरू कर दी। उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा। उन्होंने शुरू में हिंसक गतिविधियां की और चर्च पर हमले किए, लेकिन बाद में उन्हें यह ठीक नहीं लगा और उन्होंने अंत में घोषणा कर दी कि उनकी लड़ाई ब्रिटिश सरकार और उनके दलालों से है, ना की चर्चा या ईसाई धर्म से है।
1900 आंदोलन व्यापक रूप ले चुका था। 3 फरवरी 1900 को अंग्रेज सरकार ने बिरसा मुंडा को बंदी बना लिया और 9 जून 1900 में कैद में ही उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन इस आंदोलन की आग भड़क चुकी थी, और अंततः अंग्रेजों को छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम बनाने के लिये बाध्य होना पड़ा। इस तरह बिरसा मुंडा की भूमिका छोटा नागपुर क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका रही।
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छोटा नागपुर क्षेत्र में अंग्रेजों के विरोध में हुए आंदोलन में शहीद विरसा मुण्डा' की भूमिका को लिखिए।आंसर बताइए इसका जरा