Hindi, asked by riyakushwah2809, 1 month ago

छूटी न सिसुता की झलक झलके यौवन अंग दीप्ति देह दुहून मिलि दिपति तापता रंग लाल अलौकिक लरिकई लखि लखि सखी सिंहति आजकाल में देखियत उर उकसोंहीं भाँति


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Answered by manishadhiman31
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Answer:

नायिका के शरीर से अभी बचपन की झलक समाप्त भी नहीं हुई है किंतु उसके शरीर में यौवन झलकने लगा है। एक प्रकार से नायिका की स्थिति शैशव और यौवन के बीच की हो गई है। इन दोनों अवस्थाओं के मेल से नायिका के शरीर की झलक धूप-छाँही रंग के कपड़े जैसी है अर्थात् जिस प्रकार से धूप-छाँह नामक वस्त्र के ताने और बाने के रंग अलग-अलग चमकते हैं, उसी प्रकार नायिका के शरीर में लड़कपन अर्थात् भोलापन और युवावस्था दोनों ही साथ-साथ लक्षित होती है।

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