छात्रः पठति।
छात्री पठतः।
माजरी पिवतः।
गजः गच्छति।
पुरुषो पश्यतः ।
२.चित्रा
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शामिल हैं। बोलियों में ब्रजभाषा, अवधी एवं खड़ी बोली को आगे चलकर मध्यकाल में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।
ब्रजभाषा : प्राचीन हिन्दी काल में ब्रजभाषा अपभ्रंश-अवहट्ट से ही जीवन-रस लेती रही। अपभ्रंश-अवहट्ट की रचनाओं में ब्रजभाषा के फूटते हुए अंकुर को देखा जा सकता है। ब्रजभाषा साहित्य का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ सुधीर अग्रवाल का 'प्रद्युम्न चरित' (1354 ई०) हैं।
अवधी : अवधी की पहली कृति मुल्ला दाउद की 'चंदायन' या 'लोरकहा' (1370 ई०) मानी जाती है। इसके उपरांत अवधी भाषा के साहित्य का उत्तरोतर विकास होता गया।
खड़ी बोली : प्राचीन हिन्दी
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