छोड़ आया हूं खुद वहीं उसी दोराहे पर इन आंखों में आसूं तो हैं पर ये नम नहीं।
फिर मिल जाऊंगा किसी दिन चौराहे पर इस शहर में क्या सिर्फ तुम हो हम नही।
by maharshi
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अगर इतना जानता तो ऐसे थोड़ी ना करता है
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