छायाएँ मानव-जन की, नहीं मिटी लम्बी हो-होकर,मानव ही सब भाप हो गए।
छायाए तो अभी लिखी है, झुलसे हुए पत्थरो पर उजड़ी सड़को की गच पर।
पत्थर पर लिखी हुई यह जली हुई छाया मानव की साखी है।
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What is meant by this ❓⁉️
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