छाया मत छूना का भावार्थ
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छाया मत छूना – गिरिजाकुमार माथुर
गिरिजाकुमार माथुर का जीवन परिचय : गिरिजा कुमार माथुर का जन्म ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में 22 अगस्त सन 1918 में हुआ था। वे एक कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। गिरिजाकुमार की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। उनके पिता ने घर में ही उन्हें अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल आदि पढाया। स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट करने के बाद वे 1936 में स्नातक उपाधि के लिए ग्वालियर चले गये। 1938 में उन्होंने बी.ए. किया, 1941 में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन 1940 में उनका विवाह दिल्ली में कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ। शुरुआत में उन्होंने वकालत की, परन्तु बाद में उन्होंने आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में नौकरी की।
काव्यगत विशेषताएँ :- गिरिजाकुमार की काव्यात्मक शुरुआत 1934 में ब्रजभाषा के परम्परागत कवित्त-सवैया लेखन से हुई। उनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका ‘गगनांचल’ का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत “हम होंगे कामयाब” समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।
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