छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी;
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
का काव्या सौंदर्य किजीये
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मस्त हैं
please mark me as brilliant
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Hume kab he bhe jammer be vo kam nhi Karna Che aye Jesse man vichlet ho jai or man bore kamo se he vichlet hota h
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