Hindi, asked by sunitaserawat30558, 1 month ago

छायावादी काव्य का मूल स्वर क्या है​

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Answered by sanjeevagarwal0035
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Answer:

छाया mol shabd hoga aur vadi pratay

Answered by shishir303
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छायावादी काव्य का मूल स्वर क्या है​?

व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विदेशी पराधीनता तथा स्वदेशी रूढ़ियों व कुरीतियों से मुक्त होने की विचारधारा ही छायावादी काव्य का मूल स्वर है। छायावादी काव्य व्यक्ति की मानसिक और सामाजिक स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का पुरजोर समर्थक रही है।

छायावादी कविता व्यक्ति की मानसिक और सामाजिक स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की पुरजोर समर्थन रही है। छायावादी कविता में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को केंद्र में रखकर काव्य रचनाएं की गई है। कविता ने अपने ओजस्वी स्वर में विदेशी पराधीनता से मुक्त होने के साथ-साथ कुछ ऐसी स्वदेशी कुरीतियों और सामाजिक रूढ़ियों से मुक्त होने का भी आह्वान किया है, जो समाज के लिए आज के संदर्भ में प्रासंगिक नहीं रहे और जो समाज के पिछड़ेपन का सूचक होती थी। छायावादी कविता का प्रमुख स्वर राष्ट्र चेतना से युक्त रहा है।

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