छायावादी काव्य की विशेषताएं एवं आवश्यकता है बताइए
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छायावाद हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई. स. ... मुकुटधर पाण्डेय ने श्री शारदा पत्रिका में एक निबंध प्रकाशित किया जिस निबंध में उन्होंने छायावाद शब्द का प्रथम प्रयोग किया | कृति प्रेम, नारी प्रेम, मानवीकरण, सांस्कृतिक जागरण, कल्पना की प्रधानता आदि छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं।
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हिंदी की छायावादी काव्य की सबसे बड़ी विशेषता व्यक्तिवाद है ,छायावादी कविता मूलत्ता व्यक्तिवाद की कविता है विषय वस्तु की खोज में कभी बाहर नहीं अपने मन में झांकता है ....प्रसाद के आंसू तथा पंत के उपवास में व्यक्तिवाद की अभिव्यक्ति हुई है
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