छत्रपति शिवाजी की कविता को कहानी के रूप में लिखिए
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करोड़ों भारतीयों के हृदय पर राज करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज को पूरी दुनियाँ एक महायोद्धा के रूप में जानती है। जिन्होंने अपनी वीरता और सूझ-बूझ से मुगलों और दक्कन के राजाओं की नाक में दम कर रखा था।उन्होंने मराठाओं को एकजुट कर, उनमें छिपे स्वाभिमान को जगा दिया। उनके जन्मदिवस पर मेरी एक छोटी-सी कविता ।
सुसंस्कृत, सम्पन्न था भारत, थी ठाठ-बाट राजाओं की,
नजर लग गई जानें कैसे, बर्बर आताताईयों की।
महावीर योद्धाओं से यूं ,भारत का इतिहास भरा है,
आज कहानी आओ सुन लें, जिनसे नव इतिहास बना है।
जिनके पिता शाहजी थे, माता जीजा धर्म परायण,
जन्म लिया शिवनेरी दुर्ग में बालक हुआ कर्तव्य परायण।
तीर, तलवार औ भाले-बरछे, वीर शिवा के खेल-खिलौने थे,
युद्ध-कौशल, शासन-प्रबंध में, अद्भुत और अनोखे थे।
नारी और सब धर्मों का, सम्मान हमेशा करते थे,
वीर शिवाजी भारत पर, अभिमान हमेशा करते थे।
छापामार युद्ध में काबिल, नौसेना के जनक हुए,
जैसे को तैसा की नीति, रणनीतिकार वो गजब हुए।
जगा देशप्रेम जनमानस में, सबमें है स्वाभिमान भरा,
एक मराठा सौ पर भारी, इतना सबमें विश्वास भरा।
जन्मभूमि जो अपनी है, मुगलों का क्यों अधिकार यहाँ,
क्यों करें गुलामी उनकी हम, मिटने को सब तैयार यहाँ।
येन केन प्रकारेण युद्ध में, जीतना जरूरी होता है,
पूर्ण स्वराज की खातिर तो बलिदान जरूरी होता है।
जहाँ जरूरत पड़ी संधि की, झट-पट मित्र बना लेते,
जहाँ समझते शत्रु बली है, छुपकर काम तमाम करते।
भर हुंकार कह महादेव, नाकों दम कर दी मुगलों की,
चुनकर गद्दारों को मारा, कभी हाथ न आए मुगलों की।
कर्म यज्ञ की ज्वाला में, सर्वस्व समर्पित किया जिसने,
आओ उनकी जन्म-तिथि पर, देश-प्रेम की लें कसमें।