छत्रपति शिवाजी पर निबंध | Write an essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi
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"शिवाजी"
वीर शिवाजी भारत के महान राष्ट्रीय विभूतियों में एक हैं आस्था और कर्मठता से संपन्न इस असाधारण राजनेता और सेनानी ने एक समूचे राष्ट्र का गठन किया उसकी जनता को संघर्ष करने और जान पर खेल जाने का लक्ष्य दिया तथा सहनशीलता और न्याय की भावना से सराबोर और ऐसे राज्य की स्थापना की जिसका स्वरूप सचमुच धर्मनिरपेक्ष और कल्याणकारी था।
ऐसा कौन विश्वास कर सकता था कि मुगल साम्राज्य की एक रियासत बीजापुर के सामंती का यह पुत्र 50 वर्ष के अपने छोटे से जीवन काल के दौरान मुगलों को चुनौती देगा और एक ऐसा अलग राज्य विस्तृत "हिंदवी स्वराज्य" बनाएगा जिसके निवासी वहां की मिट्टी में रचे बसे हों।
19 फरवरी 1630 शिवनेरी के जिले में शिवाजी का जन्म हुआ। शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई के गर्भ से उत्पन्न यह वीर भारत धरा को एकता के सूत्र में बांधने के लिए आया था। जीजाबाई ने बचपन से ही शिवाजी को हिंदू धर्म के आदर्श पुरुषों की कहानी सुना कर उनको महान बनने की प्रेरणा दी थी। शिवाजी बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी और तीरंदाजी में विशेष रूचि रखते थे। छापामार युद्ध नीति में उन्हें महारत हासिल थी।
शिवाजी की शिक्षा की जिम्मेबारी उनके पिता ने दादा कोणदेव को सौंपी कोणदेव एक वृद्ध व्यक्ति थे। शिवाजी को प्रतिभा को देखते हुए उन्होंने उनको रामायण, महाभारत और भारतीय धार्मिक ग्रंथों को कंठस्थ करा दिया था। युद्ध शस्त्र तथा प्रशासन संचालन की शिक्षा भी उनको कोणदेव देव जी ने दी थी।
उनके गुरु रामदास ने ही उनको अपनी जन्मभूमि, धर्म तथा गायों की रक्षा का उपदेश दिया, जिस कारण हुए राष्ट्र को संगठित करने के लिए एकाग्र चित्त हो गए।
वीर शिवाजी ने मराठों को संगठित किया तथा मुगलों को अपनी राष्ट्र भूमि से खदेड़ने के लिए बहुत से युद्ध लड़े जिसमें वह काफी हद तक कामयाबी रहे।
1680 ईस्वी में भारत भारत का यह वीर सपूत पंचतत्व में विलीन हो गया और अपने पीछे छोड़ गए एक ऐसा सम्राज्य जो स्वदेशी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त था।
वीर शिवाजी का व्यक्तित्व और उनके संदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितना पहले थे।