छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार का क्या कारण रहा?
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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के रूझानों से साफ है कि भाजपा सत्ता से बेदखल हो रही है। लगातार 15 साल तक सत्ता पर काबिज होने के बाद आखिर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ। इस जीत के लिए कांग्रेस को एक लंबा इंतजार करना पड़ा। कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं थी लेकिन पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं की बदौलत मुश्किल दिख रही जीत को आसान कर दिया। कांग्रेस के लिए आसान इसलिए भी नहीं था कि उसके दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अलग पार्टी बना ली थी और ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा था कि वो कांग्रेस को ही नुकसान करेंगे।
वहीं अपने तीन कार्यकाल पूरा कर चुकी भाजपा के लिए भी राह आसान नहीं थी। भाजपा की इस हार के यूं तो कई कारण हैं लेकिन कुछ कारण ऐसे हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। लगातार 15 साल तक सत्ता पर काबिज भाजपा के लिए सरकार विरोधी माहौल भी था और मंहगाई तथा भ्रष्टाचार के मुद्दों पर विपक्षी कांग्रेस लगातार सरकार को घेर रही थी। इन सबके अलावा जिन कारणों से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा उनमें से प्रमुख पांच कारण इस प्रकार हैं-
टिकट वितरण और बगावत
भाजपा में टिकट वितरण से उपजा अंसतोष कम नहीं हुआ और कई सीटों पर उसके बागी उम्मीदवारों ने पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। रायगढ़ से टिकट नहीं मिलने पर विजय अग्रवाल निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। हालांकि पार्टी ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं माने। यही हाल रामानुजगंज, बसना, साजा, बिलाईगढ़ जैसी सीटों का भी रहा जहां बीजेपी के बागी उम्मीदवारों की वजह से पार्टी उम्मीदवारों को मुश्कलों का सामना करना पड़ा।