छत्तीसगढ़ के पांच संतो के बारे में लिखिए
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घासीदास (1756-1820):
सनातन धर्म के संस्थापक गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 में बलौदाबाजार जिले में गिरौधपुरी में हुआ था। इनके बचपन का नाम घसिया था। इन्होंने 1820 में सनातन पंथ की स्थापना की थी। इन्होंने अंतिम उपदेश जांजगीर-चाँम्पा जिले के दल्हापोंड़ी स्थान में दिया था। पूर्ण पढ़ें
संत गहिरा गुरु (1905- ):
समाज सुधारक संत गहिरा गुरु का जन्म रायगढ़ जिले के लैलूंगा में 1905 में हुआ था। इन्होंने 1953 में सनातन धर्म की स्थापना की थी। इनके बचपन का नाम रामेश्वर दयाल था।
धनी धर्मदास:
छत्तीसगढ़ में कबीर पंथ के संस्थापक धनी धर्मदास का जन्म 1416 में हुआ था। इन्होंने कबीर के पदों का संकलन एवं लिपिबद्ध किया। ये छत्तीसगढ़ के प्रथम सशक्त कवि थे।
महाप्रभु वल्लभाचार्य:
सुद्धद्वैत वाद तथा पुष्टिमार्ग के संस्थापक वल्लभाचार्य का जन्म 1479 में जयपुर जिले के चम्पारण्य में हुआ था। इन्होंने भक्ति चिन्ताणि की रचना की थी।
दूधाधारी महाराज (बलभद्रदास):
इनका जन्म 1524 में हुआ था। रायपुर में इनके नाम से 1610 में दूधाधारी मठ की स्थापना की गई थी।
स्वामी आत्मानन्द:
रायपुर में रामकृष्ण आश्रम के संस्थापक आत्मानन्द का जन्म 1929 में रायपुर जिले के बरबन्दा, मांढर में हुआ था। इन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए विश्वास नामक संस्था की स्थापना की थी। और विवेक ज्योति पत्रिका का प्रकाशन भी किया था।
Explanation:
छत्तीसगढ़ में कबीर पंथ के संस्थापक धनी धर्मदास का जन्म 1416 में हुआ था। ... ये छत्तीसगढ़ के प्रथम सशक्त कवि थे। महाप्रभु वल्लभाचार्य: सुद्धद्वैत वाद तथा पुष्टिमार्ग के संस्थापक वल्लभाचार्य का जन्म 1479 में जयपुर जिले के चम्पारण्य में हुआ था।