छठी कक्षा में सर्वोच्य स्थान प्राप्त करने पर पिता जी को पत्र लिखिए।
Answers
पत्र-लेखन विचारों के आदान-प्रदान को सशक्त माध्यम है। इसी के माध्यम से लोग अपने मन की बात अपने से दूर रहने वाले व्यक्ति तक पहुँचाते हैं। पत्र-लेखन एक कला है। पत्र लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट व सरस होनी चाहिए।
पत्र भेजने वाले का नाम, पता, दिनांक आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चहिए।
परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क, ख, ग लिखना चाहिए। यदि प्रश्न-पत्र में किसी के नाम का उल्लेख किया गया हो, तो वही नाम लिखना चाहिए।
पत्र प्राप्तकर्ता की आयु, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
पत्र के अंत में लिखने वाले और प्राप्त करने वाले के संबंधों के अनुरूप शब्दावली का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
पत्र के प्रकार
पत्रों को दो वर्गों में विभक्त किया गया है-
(क) औपचारिक पत्र
(ख) अनौपचारिक पत्र
(क) औपचारिक पत्र – औपचारिक पत्र ऐसे लोगों को लिखे जाते हैं जिनसे लिखने वाले का कोई व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंध नहीं होता है। औपचारिक पत्रों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है।
प्रार्थना पत्र – अवकाश, शिकायत, सुधार, आवेदन के लिए लिखे गए पत्र आदि।
कार्यालयी पत्र – किसी सरकारी अधिकारी अथवा विभाग को लिखे गए पत्र आदि।
व्यावसायिक पत्र – दुकानदार, प्रकाशक, व्यापारी, कंपनी आदि को लिखे गए पत्र आदि।
(ख) अनौपचारिक पत्र – इस वर्ग में वैयक्तिक तथा पारिवारिक पत्र आते हैं। इस प्रकार के पत्र माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, मित्र-सहेली तथा संबंधियों को लिखे जाते हैं।
पत्र के अंग
पत्र के निम्नलिखित अंग होते हैं-
भेजने का स्थान, दिनांक और पता – पहले यह दाईं ओर लिखा जाता था, आजकल बाईं ओर से लिखने का प्रचलन हो गया है।
संबोधन एवं अभिवादन – जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसकी आयु, योग्यता संबंध आदि के अनुरूप शब्द।
विषयवस्तु – पत्र के अंत में पत्र लेखक पाने वाले से अपने संबंध के अनुरूप शब्दावली का प्रयोग करता है तथा उसके नीचे हस्ताक्षर भी करता है।
समापन
पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
जिन्हें पत्र लिखा गया हो संबोधन अभिवादन समापन
अपने से बड़ों को आदरणीय, पूजनीय,माननीय, मान्यवर सादर प्रणाम, चरण स्पर्श आपका पुत्र, आपका आज्ञाकारी, आपका अनुज, कृपाकांक्षी
अपने से छोटों को प्रिय, चिरंजीव, आयुष्मान शुभाशीर्वाद, प्रसन्न रहो, शुभाशीष तुम्हारा हितैषी, शुभेच्छु, शुभचिंतक
बराबर वालों को प्रियबंधु, प्रिय मित्र,प्रिय सखी, प्रिय भाई/बहन मधुर स्मृति, सप्रेम नमस्कार अभिन्न हृदय, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा साथी
औपचारिक पत्र
किसी अधिकारी, संपादक या प्रधानाचार्य आदि को मान्यवर, श्रीमान, महोदय, माननीय मान्यवर, महोदय प्रार्थी, निवेदक विनीत, भवदीय
अभ्यास-प्रश्न
औपचारिक पत्र
Answer:
आदरणीय पिताजी,
सादर चरण स्पर्श।
यहाँ पर हम सभी लोग कुशलपूर्वक हैं। आशा करता हूँ कि आप लोग भी कुशलपूर्वक होंगे। पिताजी! नवम्बर में हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं थीं। मैंने सभी विषयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये। गणित, हिंदी, कंप्यूटर तथा विज्ञान में तो मैंने विशेष योगयता प्राप्त की थी। पिताजी मैं अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहा, जिससे मेरी प्रधानाचार्या तथा सभी अध्यापिकाओं ने मेरी बहुत प्रशंसा की। मेरे सभी सहपाठियों ने भी मुझे प्रथम आने के लिए बधाई दी। आशा है आप तथा परिवार के सभी सदस्य मेरी इस सफलता पर बहुत प्रसन्न होंगे।
अच्छा अब पत्र समाप्त करता हूँ। माताजी को चरण स्पर्श कहियेगा।
शेष शुभ।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
24 जनवरी, 2020
XXX
Explanation:
ADDRESS AND NAME ARE RANDOM