छदम अभिक्रिया किसे कहते है
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➲ छद्म कोटि की अभिक्रिया से तात्पर्य उस अभिक्रिया से है, जो दिखने में तो द्वितीयक कोटि की अभिक्रिया प्रतीत होती है लेकिन वास्तव में वह प्रथम कोटि की अभिक्रिया होती है। अर्थात ऐसी अभिक्रिया जो प्रथम कोटि की अभिक्रिया है, लेकिन वह द्वितीयक कोटि की अभिक्रिया प्रतीत होती है, उसे छद्म अभिक्रिया कहते हैं। इस अभिक्रिया में अभिकारक तो दो होते हैं लेकिन अभिक्रिया की कोटि केवल एक अभिकारक की सांद्रता पर ही निर्भर होती है, इसलिए ऐसी अभिक्रिया छद्म अभिक्रिया बन जाती है।
उदाहरण के लिये...
CH₃COOC₂H₅ + H₃O ⟹ CH₃COOH + C₂H₅OH
यह छद्म प्रथमकोटि की अभिक्रिया है। इस अभिक्रिया में अभिक्रिया का वेग CH₃COOC₂H₅ और H₃O दोनों अभिकारकों की सांद्रता पर निर्भर होना चाहिए, लेकिन वास्तव में इस अभिक्रिया में जल को अधिक मात्रा में लिया तो गया है लेकिन अभिक्रिया का वेग जल के सांद्रता परिवर्तन से प्रभावित नहीं होता बल्कि इस अभिक्रिया का वेग CH₃COOC₂H₅ की सांद्रता पर निर्भर करता है। इसलिए इस तरह की अभिक्रिया को प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहा जाता है।
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