छठवीं शताब्दी ईस्वी में गणतंत्र के पतन के कारणों का वर्णन कीजिए
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छठीं शताब्दी ईसा पूर्व के प्रारम्भ में उत्तर भारत में सार्वभौम सत्ता का पूर्णतया अभाव था । सम्पूर्ण प्रदेश अनेक स्वतन्त्र राज्यों में विभक्त था । ये राज्य यद्यपि उत्तर-वैदिक कालीन राज्यों की अपेक्षा अधिक विस्तृत तथा शक्तिशाली थे तथापि इनमें से कोई भी देश को राजनैतिक एकता के सूत्र में संगठित करने में समर्थ नहीं था ।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में 16 महाजनपदों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार एवं या सिंधु घाटी में कई गणराज्यों का अस्तित्त्व था। इन गणराज्यों में, वास्तविक शक्ति जनजातीय कबीलों के हाथों में था।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व को विश्व इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग माना जाता है। ... इस प्रकार कि छठी शताब्दी ईसा पूर्व में ऐतिहासिक काल शुरू हुआ यह उस समय के लिए महत्व जोड़ता है। यह ईसा पूर्व छठी शताब्दी में भारत में मानव जाति के दो महान धर्मों के संस्थापक थे। वे जैन धर्म और बौद्ध धर्म के संस्थापक महावीर जीना और गौतम बुद्ध थे।
छठी शताब्दी ईसापूर्व को एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल इसलिए माना जाता है क्योंकि इस काल में आरंभिक राज्य नगरों लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों का अभूतपूर्व विकास हुआ था इसी काल में बौद्ध और जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का उद्भव हुआ था साथ ही 16 महाजनपदों का उदय भी इसी काल की देन मानी जाती है।